डॉक्टर्स ने कहा कि लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो मरीज का बचना मुश्किल होगा। परिवार को कोई लिवर डोनेट करने वाला नहीं मिला। मरीज की बहन का खून भाई के खून से मेल खाता था। बहन ने फौरन डॉक्टर्स से कहा कि वो अपने भाई को अपना लिवर डोनेट करने के लिए तैयार हैं।
100 से ज्यादा डॉक्टर्स ने किया ऑपरेशन
केजीएमयू वीसी लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि डॉ. बिपिन पुरी ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है। इसमें उनके साथ करीब 100 से अधिक डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल थे।
14 दिसंबर को ऑपरेशन किया गया। इसके बाद शनिवार को मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। बहन भी खतरे से बाहर बताई जा रही है। केजीएमयू का यह ऑपरेशन 90% कामयाब रहा। यह KGMU का 20वां लिवर ट्रांसप्लांट है।