ये भी पढ़ें- UP Lockdown फिर से हुआ लागू, 55 घंटे तक यह खुला व यह रहेगा बंद, सीएम योगी ने दिए निर्देश पहले ही जता दी थी एनकाउंटर की संभावना-याचिका कर्ता घनश्याम उपाध्याय ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए गुरुवार को याचिका दायर की थी। उपाध्याय ने याचिका में समाचार चैनलों की बहस का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा कि कि दुबे ने खुद को यूपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के डर से मध्य प्रदेश पुलिस के हवाले कर दिया। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि यूपी पुलिस की हिरासत में आने के बाद एक बार फिर विकास दुबे भी अन्य साथी-संबंधियों की तरह एनकाउंटर में मारा जाए।
ये भी पढ़ें- विकास दुबे एनकाउंटर मामला पहुंचा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक, सीएम पर लगाया आरोप, कहा- सब स्क्रिप्टेड पुलिस को अधिकार नहीं- याचिका में यह भी कहा गया कि मुठभेड़ के नाम पर आरोपी को मार गिराना कानून के खिलाफ है, यह मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है और यह देश के तालिबानीकरण से कम नहीं है। अभियुक्त या अपराधी को उसके अपराध सिद्ध होने के बाद दंडित करना, न्यायालय का काम है। दोषी साबित होने से आरोपी का मारने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से विकास दुबे का घर, शॉपिंग मॉल व गाडियां तोड़ने के मामले में एफआइआर दर्ज करने के निर्देश देने की भी मांग की।