प्रियंका और सिंधिया का कड़ा इम्तिहान लेने को तैयार यूपी विधानसभा उपचुनाव, कांग्रेस ने बनाई यह खास रणनीति
भाजपा की चुप्पी खड़े कर रही कई सवाल
लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए एक महीना हो चुका है, लेकिन उन्होंने नैतिकता के आधार न तो अब तक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया और न ही भारतीय जनता पार्टी ने उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए बदल विरोधी कानून का सहारा लिया। इतना ही नहीं कांग्रेस में शामिल होने के बावजूद बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निलम्बित तक नहीं किया। ऐसा ही कुछ हाल शिवपाल सिंह यादव का है। अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने के बावजूद अब तक न तो उन्होंने ही सदस्यता छोड़ी है और न समाजवादी पार्टी ने उनके सदस्यता रद्द करने का आवेदन ही दिया है।
दलबदल विरोधी कानून के तहत रायबरेली के कांग्रेस एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता छिन सकती है। उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए कांग्रेस ने विधान परिषद के सभापति के समक्ष याचिका दाखिल की है। गौरतलब है कि दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार सोनिया गांधी के सामने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू का कहना है कि दिनेश प्रताप सिंह पर दलबदल विरोधी कानून लागू होता है। उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिये बिना ही भाजपा में शामिल हो गये।
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क्या कहता है दलबदल विरोधी कानून
दलबदल विरोधी कानून कानून के तहत किसी भी दल का कोई सदस्य अगर खुद ही पार्टी का त्याग कर देता है, तो उसकी विधानमंडल या संसद की सदस्यता रद्द हो सकती है। इस आधार पर अवतार सिंह भड़ाना और दिनेश प्रताप सिंह की सदस्यता समाप्त हो सकती है। उन्होंने न केवल दल बदला, बल्कि दूसरे दलों के चिन्ह पर चुनाव भी लड़ा।
गोविंदनगर (कानपुर), लखनऊ कैंट, मानिकपुर (बांदा), जैदपुर (बाराबंकी), बलहा (बहराइच), प्रतापगढ़, जलालपुर (अंबेडकरनगर), हमीरपुर, रामपुर, गंगोह (सहारनपुर), इगलास (हाथरस) और टूंडला (अलीगढ़)। इन 12 सीटों पर पहले ही तय है उपचुनाव (UP Vidhan Sabha By Elections 2019)।