लखनऊ. कडा़के की ठंड में भी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्रों तक अभी स्वेटर नहीं पहुंचे हैं। सरकार ने बीते दिनों अधिकारियों को 30 दिन के भीतर स्वेटर बाटने का आदेश दिया था। छह दिसबंर से स्वेटर बाटे जाने थे लेकिन अभी सिर्फ नाम मात्र को स्वेटर बंटे हैं। ऐसे में कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने बच्चों को ठंड से बचाने के लिए इनीशिएटिव लिया है। इन्होंने अपने पैसों से बच्चों को स्वेटर पर कंबल दिए।
उन्नाव जिले के नवाबगंज स्थित प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका स्नेहिल पांडे ने अपने वेतन से बच्चों को कंबल और स्वेटर बांटे। उनके इस काम की लोग बेहद प्रशंसा कर रहे है। स्नेहिल पाण्डेय ने अपने वेतन से से यह कदम उठाया। पहले चरण में 100 छात्रों एवं रसोइयों को कम्बल वितरित किए गए। इस कठोर ठंड में प्रधानाध्यापिका ने अपने छात्रों के लिए इस प्रकार मदद की। इस दौरान विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष लक्ष्मी साहू भी उपस्थित रहीं।
स्नेहिल ने बताया वह जिन छात्रों को पढ़ाती हैं उन्हें ठंड में कांपते हुए कैसे देख सकती हैं। इस कारण उन्होंने ये इनीशिएटिव लिया। इसके अलावा छात्रों को कंबल भी बांटे। वह अपने विद्यालय के छात्रों के बीच नए-नए तरीके से पढ़ाने के लिए मशहूर हैं। साफ-सफाई के मामले में भी उनका स्कूल काफी बेहतर है।
स्नेहिल की तरह ही उन्नाव के एक प्राइमरी स्कूल की शिक्षक सुधा शुक्ला ने भी छात्रों को अपने पैसों से स्वेटर मंगाकर बांटे। इसके अलावा रायबरेली के एक प्राइमरी स्कूल की शिक्षक संगीता मौर्य ने बताया कि अगर स्वेटर का बजट नहीं आता तो वह भी अपने पैसों से छात्रों को स्वेटर बाटेंगी।
विद्यालय प्रबंध समिति होगी उत्तरदायी प्रदेश सरकार ने स्वेटर वितरण के लिए विद्यालय प्रबंध समिति की उत्तरदायी बनाया है। सभी विद्यालयों में विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष की अध्यक्षता में स्वेटर खरीदने के लिए क्रय समिति गठित करने को कहा गया है। इसमें संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक, प्रबंध समिति में स्थानीय प्राधिकारी की ओर से नामित सदस्य और एक अन्य अभिभावक को सदस्य नियुक्त किया जाएगा।
इतनी जल्दी कैसे बटेंगे स्वेटर? शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों ने बातचीत में जिन शिक्षकों पर स्वेटर वितरण की जिम्मेदारी डाली जा रही है उनका कहना है कि 30 दिन में इन्हें बांटने का आदेश ही बेइमानी है।
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