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Political Kisse : पैराशूट महिला जो बनीं यूपी की मुख्यमंत्री, सख्त निर्णयों के लिए थीं विख्यात

UP Political Kisse – भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सुचेता कृपलानी (Sucheta Kriplani) ने निभाया था अहम रोल, पति जेबी कृपलानी के साथ मिलकर बनायी किसान मजदूर प्रजा पार्टी, 1963-1967 तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं, जवाहरलाल नेहरू की सरकार में सुचेता कृपलानी राज्यमंत्री भी रहीं, 1958 से 1960 तक कांग्रेस की महासचिव की जिम्मेदारी भी निभाई

लखनऊNov 09, 2021 / 07:04 pm

Hariom Dwivedi

up political tales sucheta kriplani was parachute cm of uttar pradesh
लखनऊ. UP Political Kisse – कुछ महीनों बाद यूपी विधानसभा (UP Assembly Election 2022) के चुनाव होने जा रहे हैं। अगले साल नयी सरकार और नया सीएम यूपी की कुर्सी पर बैठेगा। ऐसे में यह यूपी के राजनीति को जानना काफी दिलचस्प होगा। इसी क्रम में पत्रिका यूपी अपने पाठकों के लिए उप्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों से जुड़े रोचक किस्सों और कहानियों को ‘पॉलिटिकल किस्से’ शीर्षक के तहत लेकर आ रहा है। पूर्व सीएम के किस्सों की सीरीज में पेश है उस महिला के बारे में जो रोचक जानकारी जो अन्य प्रदेश की रहने वाली थीं लेकिन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। वह अपने सख्त निर्णयों के लिए जानी जाती थीं। सबसे बड़ी बात है कांग्रेस के विभाजन में भी इनकी भूमिका थी। बात हो रही है सुचेता कृपलानी की। जिन्हें ‘पैराशूट’ सीएम कहा जाता रहा है। यह न केवल यूपी बल्कि भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। लाहौर और दिल्ली में उनकी शिक्षा हुई थी। जबकि, राजनीति कॅरियर दिल्ली से शुरू हुआ, लेकिन बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश भेज दिया गया। यहां उन्होंने न सिर्फ विधानसभा चुनाव जीता बल्कि मुख्यमंत्री भी बनीं।
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अंबाला में जन्मी थीं सुचेता
अंबाला, हरियाणा के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सुचेता कृपलानी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। प्रसिद्ध गांधीवादी नेता जीवटराम भगवानदास कृपलानी (जे.बी. कृपलानी) उनके पति थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक साल के लिए सुचेता कृपलानी को जेल भी जाना पड़ा। सुचेता कृपलानी उन महिलाओं में से थीं जिन्होंने महात्मा गांधी के करीब रहकर देश की आजादी की नींव रखी। सुचेता कृपलानी भले ही दिल की कोमल थीं पर प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिमाग की सुनती थीं। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों ने लगातार 62 दिनों तक हड़ताल जारी रखी, लेकिन वह कर्मचारी नेताओं से सुलह को तभी तैयार हुईं, जब उनके रुख में नरमी आई। 1958 से 1960 तक कांग्रेस की महासचिव रहीं।
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महिला कांग्रेस की स्थापना की
1940 में सुचेता कृपलानी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला शाखा, ‘अखिल भारतीय महिला कांग्रेस’ की स्थापना की। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के चलते एक साल के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गईं। 1949 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रतिनिधि के रूप में चुना गया। भारत को आजादी मिलने के बाद जेबी कृपलानी ने जवाहर लाल नेहरू से अलग होकर खुद की पार्टी ‘किसान मजदूर प्रजा पार्टी’ बनाई। 1952 में सुचेता ने किसान मजदूर पार्टी के टिकट पर नई दिल्ली से सांसदी का चुनाव जीता, लेकिन राजनैतिक मतभेद के चलते वह फिर से कांग्रेस में लौट आईं। 1957 में कांग्रेस के टिकट पर दोबारा दिल्ली से चुनाव जीतकर संसद पहुंची। जवाहरलाल नेहरू की सरकार में वह राज्यमंत्री रहीं।
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नेहरू ने अचानक दिल्ली से सुचेता को लखनऊ भेजा
जवाहरलाल नेहरू ने अचानक सुचेता कृपलानी को यूपी में राजनीति करने के लिए भेजने का अप्रत्याशित फैसला लिया। यहां वह बस्ती जिले की मेंढवाल विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं। 1963-1967 तक वह प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। बाद में 1967 में गोंडा से जीतकर ये सुचेता फिर से संसद पहुंचीं। 1971 में राजनीति से सन्यास ले लिया।
1962 में यूपी में कांग्रेस के दो धड़े हो गये थे।
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…और इस तरह बन गयीं सीएम
1962 में यूपी में कांग्रेस के दो धड़े हो गए। एक कमलापति त्रिपाठी का था और दूसरा चंद्रभानु गुप्ता का। कहते हैं कि गुप्ता ने ही सुचेता को मुख्यमंत्री बनने के लिए उकसाया था, क्योंकि गुप्ता खुद चुनाव हार गये थे। वह कमलापति को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते थे।

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