यूपी का मशहूर आम यूपी में लखनऊ के मलीहाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, उन्नाव के हसनगंज, हरदोई के शाहाबाद, सहारनपुर, मेरठ तथा बुलंदशहर समेत करीब 15 मैंगो बेल्ट हैं। पश्चिमी यूपी के आम प्रोडक्शन को जोड़ ले तो पूरे देश का करीब 23 प्रतिशत आम उत्पादन उत्तर प्रदेश में ही होता है। लेकिन, पर्याप्त रखरखाव और कीटनाशकों आदि का इस्तेेमाल न होने से आम की ग्रोथ प्रभावित हुई है। आम छोटे हैं। वहीं निर्यात न होने और दूसरे राज्यों में परिवहन न होने से स्थानीय बाजार में ही आम बेचने की मजबूरी होगी। इससे आम उत्पादक बर्बाद हो जाएंगे।
इन देशों में निर्यात लॉकडाउन के चलते आम का एक्सपोर्ट भी बंद है। लखनवी, सफेदा, दशहरी और चौसा समेत आम अन्य किस्मों का लखनऊ से अमरीका, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन, सिंगापुर, ब्रिटेन, बांग्लादेश, नेपाल तथा पश्चिम एशिया के तमाम देशों में निर्यात होता है। पिछले साल 40 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा आम निर्यात हुआ था।
आम की फसल बर्बाद मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से आम की बाग की सिंचाई नहीं हो पाई। रसायनों का छिडक़ाव भी नहीं हुआ। बंदी के कारण आम की पेेटियां भी तैयार नहीं हो पाईं। ऐसे में आम का निर्यात नहीं हो पाया। यातायात बंद होने से बाहर आम नहीं भेजा जा सकेगा। वहीं मलीहाबाद के मशहूर आम बागवान पदश्री कलीम उल्ला का कहना है कि इस साल आम की फसल मंडियों तक पहुंचना मुश्किल है। ऐसे में आम बागों में ही सड़ जाएगा। सरकार को आम के लिए भी सब्सिडी देनी चाहिए और बिक्री की नीति बनानी चाहिए। अन्यथा किसान बर्बाद हो जाएंगे।