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UP Legislative Winter Session: लखनऊ विधानमंडल का शीतकालीन सत्र: सरकार और विपक्ष के बीच बड़ा राजनीतिक संग्राम

उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है, जिसमें तीखी बहस के आसार हैं। 5 दिन के इस सत्र में सरकार अनुपूरक बजट और अहम विधेयकों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।

लखनऊDec 16, 2024 / 08:49 am

Ritesh Singh

5 दिवसीय सत्र: अनुपूरक बजट पर जोर, विपक्ष के तीखे सवालों की तैयारी

5 दिवसीय सत्र: अनुपूरक बजट पर जोर, विपक्ष के तीखे सवालों की तैयारी

UP Legislative Winter Session: लखनऊ में आज से शुरू हो रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सियासी गहमागहमी के आसार हैं। 5 दिन तक चलने वाले इस सत्र में राज्य सरकार का मुख्य फोकस अनुपूरक बजट और महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने पर रहेगा। वहीं, विपक्ष ने महंगाई, कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी और अन्य जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है।

सरकार के लिए चुनौतियां और प्राथमिकताएं

अनुपूरक बजट पर चर्चा: सरकार इस सत्र में अनुपूरक बजट पेश करेगी, जो अगले वित्तीय वर्ष के लिए विकास योजनाओं और विभिन्न विभागों के खर्च को लेकर होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का जोर बजट के माध्यम से राज्य में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जनकल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने पर रहेगा।
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महत्वपूर्ण विधेयक: इस सत्र में सरकार कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को भी पेश करने वाली है। इनमें कृषि, शिक्षा, और महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कानून को और सख्त बनाने वाले विधेयक शामिल हो सकते हैं।
सरकार की प्राथमिकता: राज्य में चल रही विकास परियोजनाओं के लिए धन की स्वीकृति।
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की रूपरेखा।
जनहितकारी फैसलों के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना।

विपक्ष का प्लान: तीखे सवाल और मुद्दे

जनहित के मुद्दे: विपक्ष ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं, कानून-व्यवस्था की स्थिति और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।

प्रमुख विपक्षी दल सक्रिय

समाजवादी पार्टी (सपा): सपा ने बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं पर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की योजना बनाई है।
कांग्रेस: महंगाई और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा): दलितों और पिछड़ों के अधिकारों को लेकर सवाल उठाएगी।
लोकदल और अन्य छोटे दल: किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों को उठाने पर जोर।
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सत्र के दौरान संभावित मुद्दे

महंगाई और बेरोजगारी
दैनिक उपयोग की वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को लेकर विपक्ष सरकार से जवाब मांग सकता है।
युवाओं के लिए रोजगार सृजन के मुद्दे पर चर्चा की संभावना।

कानून-व्यवस्था
हाल ही में हुई आपराधिक घटनाओं को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहेगा।
महिला सुरक्षा के मामलों में सरकार से जवाबदेही की मांग होगी।
किसानों की समस्याएं
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और फसल के दामों को लेकर बहस हो सकती है।
किसान आंदोलन के प्रभाव और कृषि योजनाओं की समीक्षा पर चर्चा।

शिक्षा और स्वास्थ्य
सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
कोरोना की अगली लहर की तैयारियों पर भी चर्चा की संभावना।
सत्र की संभावित रूपरेखा

पहला दिन

राज्यपाल का अभिभाषण और सत्र की शुरुआत।
सरकार की प्राथमिकताओं का ब्योरा।

दूसरा और तीसरा दिन

अनुपूरक बजट पर चर्चा और विपक्ष के सवाल।
विधेयकों को पेश किया जाएगा।

चौथा और पांचवा दिन

विधेयकों पर चर्चा और पारित कराने की प्रक्रिया।
विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव या विशेष चर्चा।
विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका
विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि सत्र के दौरान सभी सदस्यों को अपने विचार रखने का मौका दिया जाएगा। उन्होंने सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी दलों से सहयोग की अपील की है।
विपक्ष और सरकार के बीच खींचतान का असर
सत्र की कार्यवाही के दौरान विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस होने की संभावना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक रणनीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
जनता को क्या उम्मीदें?
इस सत्र से जनता को उम्मीद है कि राज्य में बेहतर कानून-व्यवस्था, महंगाई नियंत्रण और रोजगार सृजन जैसे मुद्दों पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।

राजनीतिक विश्लेषण

विशेषज्ञों का कहना है कि यह सत्र न केवल विधायिका के लिए बल्कि आगामी चुनावी समीकरणों को तय करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। सरकार जहां अपनी उपलब्धियों को गिनाने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्ष इन पर सवाल उठाने से पीछे नहीं हटेगा।

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