वहीं 29 जून को नाम वापसी के बाद निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा की जाएगी। इन सबके बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन और नामांकन पत्रों की जांच में रद्द हुए नामांकन पत्रों की सूची जारी कर दी। राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक प्रदेश 75 जिलों में कुल 164 लोगों ने अपना नामांकन किया। जिनमें 5 प्रत्याशियों का पर्चा खारिज हुआ। जिसके बाद अब कुल 75 जिलों में 159 प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के मैदान में हैं। 29 जून को नाम वापसी के बाद बची हुई सीटों पर तीन जुलाई को मतदान होगा।
बड़ी जीत की ओर भाजपा यानी कुल मिलाकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा बड़ी जीत की ओर अग्रसर दिख रही है। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार जिन 18 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन तय है, उनमें मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अमरोहा, मुरादाबाद, आगरा, इटावा, ललितपुर, झांसी, बांदा, चित्रकूट, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, गोरखपुर, बुलंदशहर, वाराणसी और मऊ हैं। इनमें इटावा को छोड़कर बाकी सीटें भाजपा के पास रहेंगी। निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा 29 जून को नाम वापसी के बाद होगी। चुनाव होने वाली 57 सीटों में 41 ऐसी हैं, जिनमें दो प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला होगा। 11 सीटें ऐसी हैं, जहां पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। सबसे ज्यादा पांच उम्मीदवार भदोही में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चार सीटों में चार-चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
महिलाओं ने लिखी इबारत जिला पंचायत अध्यक्ष के चुना में महिलाओं ने भी नई इबारत लिखी है। बलरामपुर से 21 वर्षीय किसान की बेटी आरती तिवारी के साथ मुरादाबाद से डा. शैफाली सिंह, गाजियाबाद से ममता त्यागी, आगरा से मंजू भदौरिया, प्रतापगढ़ से माधुरी पटेल, वाराणसी से पूनम मौर्या और गोरखपुर से साधना सिंह के खिलाफ किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया। वहीं पंचायत चुनावों ने मेरठ की राजनीतिक हवा को भी बदल दिया। सपा, बसपा और रालोद को बड़ी सफलता मिली, लेकिन ये सभी दल भाजपा की घेराबंदी नहीं कर सके। पंचायत अध्यक्ष की रेस में जर्मनी से आए गौरव आगे निकल गए। उनके सामने कोई भी प्रतिद्वंदी नहीं है।
सपा मे हटाए 11 जिलाध्यक्ष वहीं जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में पार्टी की खराब स्थिति से नाराज होकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने 11 जिलाध्यक्षों को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त कर दिया है। इन सभी जिलों में भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया है। तो दूसरी तरफ सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा पर शासन और सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। सपा के मुताबिक भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में गोरखपुर, झांसी, मुरादाबाद, भदोही, चित्रकूट, श्रावस्ती, बलरामपुर, हमीरपुर, गोंडा, मऊ, ललितपुर, गाजियाबाद में उनके प्रत्याशियों को नामांकन तक दाखिल नही करने दिया। पार्टी ने राज्य निर्वाचन आयोग में इसकी शिकायत भी की है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे यूपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान कुल 3050 जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। जिसमें सपा के 747, बीजेपी के 666, बीएसपी के 322, कांग्रेस के 77, आम आदमी पार्टी के 64 और 1174 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। पंचायत चुनाव के नतीजों से विपक्षी पार्टियों खासकर सपा ने यह माहौल बनाने की कोशिश की कि राज्य में भाजपा की लोकप्रियता ढलान पर है और 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में अखिलेश की विजय होने वाली है, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा के सामने सपा कहीं टिकती नहीं दिख रही है।
विपक्ष में रहकर भी मुलायम परिवार का जलवा बरकरार यूपी की सत्ता से भले ही सपा 4 साल से बाहर है। लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के परिवार का राजनीति में जलवा कायम है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में इटावा में अखिलेश के चचेरे भाई अभिषेक निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। यहां भाजपा ने कोई प्रत्याशी ही नहीं उतारा। सूबे के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे में अब भी 8 सदस्य राजनीतिक ओहदों पर हैं। मुलायम सिंह यादव, मैनपुरी से तो उनके बेटे अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद हैं। रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं। शिवपाल यादव, जसवंतनगर से विधायक और इनके बेटे आदित्य यादव यूपी को आपरेटिव बैंक के चेयरमैन हैं। परिवार की मृदला यादव, सैफई की बीडीसी और सरला यादव, इटावा की को-ऑपरेटिव बैंक की अध्यक्ष हैं।