आस्था का नया केंद्र होगा स्थापित उत्तर प्रदेश प्राचीन पर्यटन का केंद्र है। काशी में प्रवासी भारतीय सम्मेलन हो या फिर अयोध्या में दीपोत्सव महोत्सव, ब्रज तीर्थ में होली के अवसर पर रंगोत्सव का उल्लास, ये सब उत्तर प्रदेश में धार्मिक महत्व को बरकरार रखने के साथ-साथ टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया है। यूपी के प्रमुख जिलों में मंदिरों को भव्य रूप देकर आस्था का नया केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
धार्मिक तीर्थ स्थलों का सबसे बड़ा केंद्र विंध्यवासिनी धाम धार्मिक स्थलों का सबसे बड़ा केंद्र विंध्वायसिनी धाम है। मंगलवार को धाम में दर्शन करने पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि विंध्यक्षेत्र का विकास अयोध्या, काशी और मथुरा की तर्ज पर कराया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि माता के दरबार में अलग तरह की अनुभूति होती है। विंध्य कॉरिडोर योजना के संबंध में बताया कि धार्मिक तीर्थ स्थलों का सबसे बड़ा केंद्र विंध्यवासिनी धाम है। जैसे अयोध्या, मथुरा और वृंदावन का विकास हुआ है, उसी तरह यहां का भी विकास कराया जाएगा।
विंध्य कॉरिडोर की कुल लागत 331 करोड़ रुपये विंध्य कॉरिडोर का काम नवंबर 2020 में शुरू हुआ था। इसके अक्टूबर 2021 तक साकार होने की उम्मीद है। विंध्य कॉरिडोर की कुल लागत 331 करोड़ रुपए है। मंदिर से लगे चार प्रमुख मार्गों के चौड़ीकरण के लिए करीब 33 करोड़ रुपए की वित्तीय एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हो गई है। विंध्य कॉरिडोर के बनने पर इसका हर कोना अपनी पारंपरिक धरोहर बयां करेगा। मंदिर के आसपास के अन्य मंदिर इसके प्रमुख आकर्षण केंद्र होंगे। जिसमें मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा व उत्तराकाली (कालीखोह) का त्रिकोण दर्शन करने को मिलेगा। इसके साथ ही रामगया घाट, मां तारा देवी मंदिर, रत्नेश्वर महादेव मंदिर व शिवपुर के दर्शन होंगे। त्रिकोण क्षेत्र में स्थित मोतिया तालाब, गेरूआ तालाब, नरसिंह तालाब, नागकुंड, भैरव कुंड व सीता कुंड का आकर्षण सभी को लुभाएगा।