उत्तर प्रदेश सरकार ने निकाय चुनाव के संबंध में ओबीसी आरक्षण के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया है। यूपी सरकार ने पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता रिटायर जज राम अवतार सिंह करेंगे।
निकाय चुनाव: मायावती ने ओबीसी आरक्षण बीजेपी, सपा और कांग्रेस पर निशाना साधा
इस आयोग का कार्यकाल छह महीने का होगा। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह को उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया जाता है। पूर्व आईएएस चौब सिंह वर्मा, पूर्व आईएएस महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व विधि परामर्शी बृजेश कुमार सोनी को सदस्य नियुक्त किया गया है। पिछड़ो के अधिकारों से नहीं होगा समझौता मंगलवार को जब हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण वाली सीटों को रद्द कर दिया था तब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि “नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, लेकिन पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”
तीसरे ट्वीट में लिखा कि जबकि बी.एस.पी. सरकार में SC, ST साथ-साथ अति पिछड़ों व पिछड़ों को भी आरक्षण का पूरा हक दिया गया। अतः अब आरक्षण पर बड़ी-बड़ी बातें करने से सपा व अन्य पार्टियों को भी कोई लाभ मिलने वाला नहीं। ये सभी वर्ग इन दोगले चेहरों से भी सतर्क रहें।
भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं होगी बसपा, प्रदेश अध्यक्ष ने बताई वजह
बीजेपी बैंकफुट पर क्यों आ गई? अब बात आती है कि बीजेपी ओबीसी आरक्षण पर बैकफुट पर क्यों आ गई। दरअसल यूपी में पिछड़ों का 52% वोट हैं। अगर यादव को छोड़ दिया जाए तो 43% पिछड़ा वर्ग के वोट हैं। बीजेपी ने 2014 के बाद से समाजवादी पार्टी के पिछड़ा वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई है। उसने यादव, कुर्मी, शाक्य औऱ अन्य वर्गों के ओबीसी नेताओं को अपने पाले में कर लिया है। ऐसे में अब निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द होना बीजेपी के लिए दिक्कत हो गई है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल पिछड़ा वर्ग के 150 विधायक हैं। इसमें 90 भाजपा औऱ 60 समाजवादी पार्टी से हैं।