शीतकालीन सत्र में उठा सवाल :- यूपी विधानमंडल के तीन दिनी शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को विधान परिषद में एक डेटा पेश किया गया। जिससे यूपी सरकार की कानून व्यवस्था पर पकड़ का पता चला। विधान परिषद में पेश डेटा में आया कि, अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2021 के बीच कोई भी ऐसा महीना नहीं रहा जब उप्र में 50 से कम जिलों में धारा 144 लागू न रही हो। यह तब होता है जब कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर हो। मार्च 2020 के बाद कोविड को देखते हुए लॉकडाउन लगाया गया था। उसके बाद धारा 144 लागू होने की बात समझ में आती है। लेकिन मार्च 2020 से पहले हर महीने 50 या उससे ज्यादा जिलों में धारा 144 लागू करना पुलिस – प्रशासन की कार्य शैली पर सवाल उठाता है।
सीएम योगी ने दिया जवाब – सीएम योगी आदित्यनाथ की तरफ से इस सवाल का जवाब दिया गया। जिसमें बताया गया कि, विभिन्न राष्ट्रीय पर्व, त्योहारों, परीक्षाओं, मेले व अन्य परिस्थितियों में शांति भंग होने की संभावना, असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने, कोविड-19 के खतरे से बचाव के लिए धारा 144 लागू की गई। इसके साथ ह चुनाव, निर्वाचनों के दौरान विभिन्न समाज विरोधी तत्वों की ओर से कानून व्यवस्था को प्रभावित करने की आशंका पर समय-समय पर धारा 144 लागू किए गए हैं।
राजतंत्र की तरह सत्ता चला रही है योगी सरकार – योगी सरकार का दावा है कि यूपी में कानून व्यवस्था दुरूस्त है। गृहमंत्री अमित शाह भी कहते है कि उप्र में अब रात 12 बजे गहने पहनी हुई लड़की अकेले शादी से घर जा सकती है। इस पर विधान परिषद में कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने सवाल करते हुए का कहा कि, जैसे अपराधी बिना हथियार लिए अपनी रक्षा नहीं कर सकता है। उसी तरह उप्र की सरकार को सरकार चलाना नहीं आता है। यह धारा 144 को लागू कर लोकतंत्र की जगह राजतंत्र की तरह सत्ता चला रही है।
केवल अपना चेहरा दिखाने में लगे रहते हैं सीएम – सीएम योगी पर तंज कसते हुए एमएलसी दीपक सिंह ने कहाकि, सीएम योगी आदित्यनाथ केवल अपना चेहरा दिखाने में लगे रहते हैं। उप्र के लोकतांत्रिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए यह किया जा रहा है। इसकी वजह से यह हो रहा है।
लखनऊ में 5 जनवरी तक धारा 144 लागू – लखनऊ में एक बार फिर धारा 144 30 दिनों के लिए लगाई गई है। लखनऊ में धारा 144, 7 दिसंबर से शुरू होकर 5 जनवरी 2022 तक लागू रहेगी।