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लखनऊ

घाटे में चल रहीं यूपी की सरकारी कंपनियां, नौकरियां देने में भी पीछे

उत्तर प्रदेश सरकार के 103 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में ज्यादातर घाटे में चल रहे हैं।

लखनऊFeb 12, 2019 / 03:54 pm

Abhishek Gupta

CM Yogi

CM Yogi

पत्रिका एक्सक्लूसिव.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार के 103 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में ज्यादातर घाटे में चल रहे हैं। 46 पीएसयू में तो घाटा इतना अधिक है कि इन्हें लंबे समय से बंद रखना पड़ रहा है। 57 पीएसयू आज भी चल रहे हैं। इनमें से 22 ने सिर्फ 963.97 करोड़ का लाभ कमाया। बाकी 17 पीएसयू ने वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 19,299.56 करोड़ का घाटा उठाया। प्रदेश के सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रमों और कंपनियों में कुल एक लाख 12,784 कर्मचारी कार्यरत हैं। यह सभी उपक्रम नौकरियां देने के मामले में भी पीछे हैं। यह खुलासा भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक यानी कैग की रिपोर्ट में किया गया है।
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वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए पेश कैग की रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ सरकार की निराशाजनक तस्वीर पेश करती है।रोजगार सृजन और उप्र में औद्योगिक माहौल बनाने में जुटी योगी सरकार सूबे की सरकारी कंपनियों को अपने पैरों पर खड़े होने और लाभ कमाने की स्थिति में नहीं ला पायी। जबकि, सरकार गठन के बाद से ही प्रदेश में निवेश का माहौल बनाने के लिए इन्वेस्टर समिट पर लाखों फूंके गए। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक सूबे में कुल 46 सरकारी कंपनियां ऐसी हैं जो लंबे समय से बंद पड़ी हैं। इनमें से 11 कंपनियों में पिछले तीन सालों में कोई उत्पादन और कोई कार्यकलाप नहीं हुआ फिर भी 883 कर्मचारी घर बैठे सैलरी ले रहे हैं। इन कंपनियों में राज्य सरकार का 1829.46 करोड़ का निवेश हुआ है। जबकि, राज्य के कुल 103 पीएसयू में 31 मार्च 2017 तक कुल 239019.94 करोड़ का पूंजी लगी हुई है।
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सबसे ज्यादा कंपनियां ऊर्जा क्षेत्र में-
राज्य सरकार ने सबसे ज्यादा कंपनियां ऊर्जा के क्षेत्र में खोल रखी हैं। इनकी कुल संख्या 11 है। विनिर्माण में 5, अवसंरचना में 6, वित्त में एक, सेवा में 4 और समाज कल्याण व कृषि के क्षेत्र में 5 कंपनियां कार्यरत हैं। इन कुल 32 कंपनियों उप्र राज्य सडक़ परिवहन निगम, उप्र वित्त निगम, उप्र वन निगम, उप्र आवास एंव विकास परिषद, उप्र जल निगम और उप्र राज्य भंडारण निगम जैसी कंपनियां ही लाभ कमाने की स्थिति में हैं। ज्यादा लाभ कमाने वाली कंपनियों में उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम, भंडारण निगम और आवास विकास परिषद हैं। खास बात यह है कि यह सभी कंपनियां रोजगार देने के मामले में भी पीछे है। बंदी की वजह से तमाम कंपनियों में पिछले कई सालों से कोई रोजगार सृजन नहीं हुआ। न ही नई भर्तियां निकलीं।
31 मार्च 2017 को पीएसयू की संख्या-
सरकारी कंपनियां – 51
सांविधिक निगम – 06
अकार्यरत पीएसयू-46
कुल संख्या-103

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