script#UPDusKaDum : अगर आप लखनऊ आए हैं तो इन दस जगहों पर घूमना न भूलें, ये हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह | UP Dus Ka Dum Historical Places in Lucknow | Patrika News
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#UPDusKaDum : अगर आप लखनऊ आए हैं तो इन दस जगहों पर घूमना न भूलें, ये हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह

UP Dus Ka Dum : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नवाबों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है। जानिए उनके द्वारा बनवाई गयी प्रसिद्ध इमारतों और पर्यटन स्थल के बारे में|

लखनऊAug 09, 2019 / 03:39 pm

आकांक्षा सिंह

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नवाबों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है। लखनऊ अपनी नवबियत, खानपान, और पर्यटन के लिये फेमस है। पर्यटन के लिहाज से यदि आप लखनऊ आ रहे हैं तो यहाँ बहुत कुछ ऐसा है, जिसे देखना और जानना आपके लिए दिलचस्प साबित हो सकता है। हम आपको बताने जा रहे दस ऐसे स्थलों के बारे में जिन्हें देखे बिना आपका लखनऊ टूर पूरा नहीं हो सकता।

1. बड़ा इमामबाड़ा (भुलभुलैया) (Bada Imambara)

लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा में स्थित भूल भुलैया (Bhool Bhulaiya Lucknow) का नाम पूरी दुनिया भर में मशहूर है। इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने 1784 में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। इस इमामबाड़े में एक अस़फी मस्जिद भी है जहां गैर मुस्लिम लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं। इसमें विश्व-प्रसिद्ध भूलभुलैया बनी है, जो अनचाहे प्रवेश करने वाले को रास्ता भुला कर आने से रोकती थी। इसमें एक गहरा कुँआ भी है। एक कहावत है के जिसे न दे मोला उसे दे आसफूउद्दौला।

 

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2.रूमी दरवाजा (Rumi Darwaza)

लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा की तर्ज पर ही Rumi Gate का निर्माण भी अकाल राहत प्रोजेक्ट के अन्तर्गत किया गया है। नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा 1783 ई. में अकाल के दौरान बनवाया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाजे को तुर्किश गेटवे कहा जाता है। रूमी दरवाजा कांस्टेनटिनोपल के दरवाजों के समान दिखाई देता है। यह इमारत 60 फीट ऊंची है।

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3. अम्बेडकर पार्क (Ambedkar Park)

अम्बेडकर पार्क का निर्माण उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा वर्ष 2008 में कराया गया था। यह पार्क करीबन 107 एकड़ में फैला हुआ है। इस पार्क का निर्माण अधिकतर लाल बलुआ पत्थर से हुआ है, जोकि राजस्थान से मँगवाए गए थे। एक अनुमान के मुताबिक इस पार्क को बनाने में कुल 700 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इस पार्क में आप अन्यों पार्कों की तरह पेड़ पौधे नहीं बल्कि कई कलाकृतियों और स्मारकोण को देख सकते हैं।

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4. जनेश्वर पार्क (Jeneshwar Park)

लखनऊ में वर्ष 2014 में जनेश्वर मिश्र पार्क का अनावरण हुआ। इस पार्क में पेड़-पौधे,जोगिंग ट्रक, गोल्फ कोर्स, ओपन जिम साथ ही बच्चों के लिए शानदार झूले मौजूद हैं। इस पार्क सब कुछ इतना भव्य है कि, आप एक बार आने के बाद इस पार्क में बार बार आना पसंद करेंगे। यह पार्क लखनऊ शहर के गोमतीनगर एक्सटेंशन में लगभग 376 एकड़ में स्थित है। इसकी लागत में 168 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं। पार्क को लंदन के हाइड पार्क की तर्ज पर विकसित किया गया है।

 

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5. चिड़िया घर (Zoo)

लखनऊ का चिडियाघर, शहर के केंद्र में स्थित है जो 72 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जगह लखनऊ आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद खास है। एक अनुमान के अनुसार, इस चिडियाघर में हर साल लगभग दस लाख पर्यटक आते हैं। इस चिडियाघर में कई प्रकार के जानवर पाएं जाते हैं जिनमें चिडियां, सरीसृप, और स्‍तनपायी पाएं जाते हैं। इस चिड़ियाघर में रॉयल बंगाल टाइगर, शेर भेड़िया, हिमालया काला भालू, गैंडा, काला हिरण, जेब़रा, मैना, एशियाई हाथी, जिराफ,विशाल गिलहरी और कई अन्‍य तरह के जानवर यहां देखने को मिलते है। इनके अलावा, हिरन, काला तीतर, सफेद बाघ और काले हिरन भी यहां आकर देखे जा सकते है जो खास है और बहुत कम देखने को मिलते हैं। इस चिडियाघर में टॉय ट्रेन है जिसमें बच्‍चे और बड़े दोनों आनंद उठा सकते है। इस ट्रेन में एक इंजन और दो डिब्‍बे है, इस रेल को रेलवे बोर्ड द्वारा उपहार में दिया गया था। इस ट्रेन का ट्रैक 1.5 किलोमीटर है। यह ट्रेन चंदेरपुरी स्‍टेशन से चलकर जू के सभी स्‍थानों से होकर गुजरती है।

 

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6. चन्द्रिका देवी धाम (Chandrika Devi Dham)

लखनऊ-नई दिल्ली नेशनल हाईवे-24 पर स्थित बख्शी का तालाब कस्बे से 11 किमी सड़क पर चन्द्रिका देवी तीर्थ धाम की महिमा अपरम्पार है। कहा जाता है कि गोमती नदी के समीप स्थित महीसागर संगम तीर्थ के तट पर एक पुरातन नीम के वृक्ष के कोटर में नौ दुर्गाओं के साथ उनकी वेदियाँ चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई हैं। अठारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध से यहाँ माँ चन्द्रिका देवी का भव्य मंदिर बना हुआ है। ऊँचे चबूतरे पर एक मठ बनवाकर पूजा-अर्चना के साथ देवी भक्तों के लिए प्रत्येक मास की अमावस्या को मेला लगता था, जिसकी परम्परा आज भी जारी है|

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7. रेजीडेंसी (Residency)

1857 में आजादी की पहली लड़ाई की गवाह रेजीडेंसी रही है। यह लड़ाई 1 जुलाई को शुरू हुई और 17 नवम्बर 1857 तक जारी रही। इस इमारत के इतिहास की बात करे तो इसका निर्माण कार्य अवध के नवाब आसिफ़–उद्-दौला ने सत्ता संभालने के बाद सन 1775 में शुरू करवाया। बाद में अवध के अगले नवाब शादत अली ख़ान ने सन 1800 में इस इमारत का निर्माण कार्य पूरा करवाया। रेजीडेंसी का एक बहुत बड़ा हिस्सा 1857 की क्रांति में अंग्रेज़ो और भारतीय क्रांतिकारियों के बीच हुई लड़ाई में नष्ट हो गया था, युद्ध ख़त्म होने के बाद इसे जस का तस छोड़ दिया गया और धीरे-2 ये खंडहर में तब्दील हो गया। इस इमारत की टूटी-फूटी दीवारों में आज भी तोप के गोलों के निशान देखे जा सकते है जो 1857 में हुई क्रांति की याद दिलाते है। रेजीडेंसी परिसर में कभी एक चर्च और एक कब्रिस्तान भी थे जो आज ज़मींदोज़ हो चुके है। 1857 की क्रांति के दौरान इस कब्रिस्तान में 2000 से भी अधिक लोग दफ़न कर दिए गए थे। रेजीडेंसी परिसर में एक संग्राहलय भी है जहाँ प्रतिदिन शाम को रेजीडेंसी के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है। इस संग्राहालय में 1857 की क्रांति का बहुत अच्छे से चित्रण किया गया है।

 

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8. रिवर फ्रंट (River front)

गोमती का ये रिवरफ्रंट करीब 8 किलोमीटर का है। इस रिवरफ्रंट में कुछ ऐसे फीचर हैं जो दुनिया में कही नहीं है। यहां रिवर फ्रंट पर सॉफ्ट स्केपिंग है, झील है म्युजिकल फाउंटेन है, जो कहीं नहीं है। साथ ही वाटर स्पोर्टस है, क्रुज है और स्वास्थ्य के लिहाज से कई तरह के ट्रैक बनाए गए हैं, जिसमें साइक्लिंग, वॉकिंग और जॉगिंग ट्रैक है। यहां घूमने आए लोगों के लिए रिवर फ्रंट के किनारे बैठने का भी अच्छा इंतजाम है।

 

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9. लखनऊ म्यूजियम (Lucknow Museum)

लखनऊ में राज्य संग्रहालय स्थित है, जो कि पर्यटकों और अन्य सभी के मनोरंजन का लिए जाने का स्थान है। यह संग्रहालय लखनऊ शहर में बनारसी बाग के क्षेत्र में तीन मंजिला आधुनिक भवन है। वास्तव में, यह इमारत एक संग्रहालय और एक संग्रह है, दोनों एक ही इमारत में फैले इस संग्रहालय में बहुत सारे गैलरीज हैं, जिनमें कांस्य, मूर्तियां, प्राकृतिक इतिहास, पेंटिंग, सिक्कों, मानव विज्ञान के नमूने, सजावटी कला और वस्त्रों को समर्पित विभिन्न लोगों के साथ हैं।

 

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10. रीजनल साइंस सिटी (Regional Science City)

लखनऊ अब विज्ञान का केंद्र है। मौजूदा वैज्ञानिक संस्थानों की संख्या के कारण शहर गर्व से वैज्ञानिक गतिविधियों और अनुसंधान का दावा कर सकता है। अब आगंतुक, लखनऊ के लोग और लखनऊ आने वाले पर्यटक विज्ञान के बारे में अपने सभी प्रश्नों के उत्तर देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं। नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस संग्रहालय (एनसीएसएम) द्वारा डिजाइन और विकसित 9.7 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया क्षेत्रीय विज्ञान शहर (आरएससी), 4,000 वर्ग मीटर से अधिक फैला हुआ है, शायद गैलरी रखने के लिए देश का पहला विज्ञान शहर है विज्ञान, जैव-प्रौद्योगिकी, कृषि और मानव व्यवहार में नवीनतम तकनीकों को प्रदर्शित करने वाले प्रदर्शनों के साथ मानव व्यवहार पर।

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