नई योजना के तहत, प्रदेश के 54 बस स्टेशनों पर कई सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। इनमें गेस्ट हाउस, डॉरमेट्री, पार्किंग, रेस्टोरेंट, शौचालय, फूड कोर्ट और कमर्शियल ऑफिस जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। इस प्रकार की सुविधाओं के साथ यात्री आसानी से अपनी यात्रा के दौरान आराम कर सकेंगे। साथ ही, इन बस स्टेशनों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी बनाने की योजना है।
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यात्री अनुभव में होगा सुधारइन सुविधाओं के जरिए सरकार का उद्देश्य केवल यात्रियों का अनुभव बेहतर बनाना नहीं है, बल्कि बस स्टेशनों को एक आत्मनिर्भर इकाई के रूप में स्थापित करना भी है। यह कदम सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकता है। यात्रियों को आरामदायक, सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण प्रदान करने के लिए कम से कम 18 मीटर का एप्रोच रोड भी सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे बस स्टेशनों तक पहुंच और अधिक सुगम होगी।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस संबंध में प्रेजेंटेशन दी, और अब सरकार इसे कैबिनेट में प्रस्तुत करने की योजना बना रही है। इस प्रस्ताव के अनुसार, बस अड्डों से जुड़ी गतिविधियों के लिए कुल 55 प्रतिशत क्षेत्र रिजर्व रखा जाएगा, ताकि इन स्थानों को अधिक उपयोगी और सुविधाजनक बनाया जा सके।
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राज्य सरकार की कड़ी निगरानीसरकार की योजना इस परियोजना को जल्दी ही लागू करने की है, ताकि यात्रियों को उनकी यात्रा के दौरान अधिकतम सुविधा मिल सके। इसके साथ ही, यह परियोजना राज्य सरकार के राजस्व में भी वृद्धि करने का माध्यम बनेगी, क्योंकि इससे व्यवसायिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रदेश के 54 बस स्टेशनों में बदलाव के बाद ये स्टेशन न केवल यात्रा के केंद्र होंगे, बल्कि यात्रियों के लिए आरामदायक, सुरक्षित और आधुनिक स्थान बन जाएंगे। विशेष रूप से, फूड कोर्ट और शॉपिंग क्षेत्रों के निर्माण से यात्रियों को और भी सुविधाएं मिलेंगी, जिससे लंबे इंतजार के दौरान उनका समय आराम से बीत सके।
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क्या है इसके फायदे?
यात्री अनुभव: बेहतर सुरक्षा और सफाई सुविधाओं के साथ यात्रियों को शांति और आराम मिलेगा।आत्मनिर्भरता: पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत, इन बस स्टेशनों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
आधुनिक सुविधाएं: इन स्टेशनों में एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं का समावेश होगा, जो यात्रियों के लिए एक आदर्श मॉडल पेश करेगा।
संचालन में सुधार: यात्री भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पार्किंग और रास्तों का बेहतर प्रबंधन होगा।
इस योजना से न केवल यात्री सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि प्रदेश के विकास में भी एक अहम कदम होगा। यह कदम सरकारी परियोजनाओं के लिए एक आदर्श उदाहरण बन सकता है, जहां पब्लिक और प्राइवेट दोनों के सहयोग से गुणवत्ता में सुधार किया जाता है।