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लखनऊ

यूपी में कोरोना की दूसरी लहर ने क्यों मचाई थी इतनी ज्यादा तबाही, अब हुआ ये सबसे बड़ा खुलासा

– कोरोना वायरस डेल्टा वैरिएंट (Coronavirus Delta Variant) ने मचाई थी तबाही, 355 में 327 सैंपल में पुष्टि
– अब एक हजार सैंपल के परिणाम का इंतजार
– उधर कोरोना की तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) से निपटने की तैयारी तेज

लखनऊJun 30, 2021 / 11:41 am

नितिन श्रीवास्तव

यूपी में कोरोना की दूसरी लहर ने क्यों मचाई थी तबाही, अब हुआ ये सबसे बड़ा खुलासा

यूपी में कोरोना की दूसरी लहर ने क्यों मचाई थी तबाही, अब हुआ ये सबसे बड़ा खुलासा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में वैश्विक महामारी कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में तबाही की वजह कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट (Coronavirus Delta Variant) रहा है। अप्रैल-मई में हजारों लोगों के प्राण लेकर कोहराम मचाने वाला वेरिएंट डेल्टा वायरस था। यह खुलासा प्रदेश के 355 सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट से हुआ है। 355 सैंपल में से 327 यानी 92 प्रतिशत सैंपल में डेल्टा प्लस वायरस पाया गया। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 1355 सैंपल मिले भेजे गए थे। हालांकि अभी एक हजार सैंपल के नतीजे आने बाकी हैं। यानी दूसरी लहर में मिले डेल्टा वेरिएंट ने कोरोना की पहली लहर में पाए गए अल्फा वेरिएंट के मुकाबले काफी तेजी से संक्रमण फैलाया। दूसरी लहर में तबाही के दौरान सभी चिकित्सक और विशेषज्ञ भी इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि वायरस का स्वरूप बदला है और यह पहले से कहीं ज्यादा हमलावर है। इसके फैलने की क्षमता भी ज्यादा है।

 

डेल्टा वैरिएंट ने मचाई थी तबाही

ऐसे में यहां डेल्टा प्लस की संभावनाओं से कतेई इनकार नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूरी तरह सतर्कता बरती जा रही है। साथ ही नागरिकों से भी सावधानी बरतने की अपील भी की जा रही है। दरअसल केंद्र सरकार की ओर से जारी डाटा में उतर प्रदेश में डेल्टा वैरिएंट मिलने की बात पहले ही कही गई थी। अब प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने भी इस बात को स्वीकार किया है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में डेल्टा वैरीएंट पाया गया है। ऐसी स्थिति में इसके नए वैरिएंट को लेकर भी हमें और ज्यादा सतर्क रहना होगा। क्योंकि अलग-अलग राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिल रहा है। ऐसे में यहां भी जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जा रही है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे पर भी सैंपलिंग कराई जा रही है। विदेश से आने वाले लोगों को क्वॉरेंटाइन भी किया जा रहा है। उन्होंने अपील की कि सभी दो मास्क जरूर लगाएं और दो गज की शारीरिक दूरी के नियम का सख्ती से पालन करें, ताकि तीसरी लहर से बचा जा सके।

 

खतरनाक थी दूसरी लहर

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की बात करें तो पहली लहर में करीब छह लाख तीन हजार संक्रमित हुए थे, जिसमें 8727 की मौत हुई। दूसरी लहर में मई तक संक्रमितों की संख्या बढ़कर 16 लाख 91 हजार हो गई। जबकि मृतकों की संख्या 20 हजार से अधिक रही। रिपोर्ट के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट के कारण ही यूपी में कोरोना रोगियों के फेफड़ों पर ज्यादा खराब असर डाला और लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित किया। अल्फा वेरिएंट से एक व्यक्ति जितने लोगों को संक्रमित कर रहा था, उससे कहीं ज्यादा डेल्टा वेरिएंट से हुआ। यही कारण है कि दूसरी लहर में प्रदेश में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो गए। फिलहाल अब डेल्टा प्लस वेरिएंट से बचने के लिए हमें दूसरी लहर से सबक लेना होगा।

 

कोरोना की तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) बच्चों के लिए घातक

वहीं कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। इसी आशंका से निपटने की तैयारियां तेजी से शुरू कर दी हैं। तीसरी लहर से बचने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अलग रणनीति बनाई है। इसी क्रम में शून्य से 12 साल तक के बच्चों को निशुल्क मेडिसिन किट दी जा रही है। सरकार का कहना है कि 18 साल से कम आयु के बच्चों को चार वर्गों में अलग-अलग किट दी जा रही है। संभावित तीसरी लहर को देखते हुए सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में 5,900 पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) से अधिक बेड तैयार किए हैं। वहीं कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस को लेकर यूपी सरकार अलर्ट मोड पर काम कर रही है। हालांकि यूपी में अभी तक किसी केस की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन नजर रखी जा रही है।

 

11 नए जनपदों में शुरू होगी लैब

इसके अलावा सीएम योगी ने 11 नए जनपदों में बीएसएल-2 लैब (BSL-2 Lab) शुरू करने का निर्देश दिया है। अब औरैया, महोबा, बुलंदशहर, अमेठी, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बिजनौर, कासगंज, मऊ, कुशीनगर और सोनभद्र में आरटीपीसीआर जांच हो सकेगी। प्रदेश में इन नई प्रयोगशालाओं से एक ओर जांच की संख्या में तेजी से इजाफा होगा, वहीं बीमारी को मात देने में भी सरकार को मदद मिलेगी। इन नई आरटीपीसीआर टेस्ट प्रयोगशालाओं के संचालन से प्रदेश के 45 जनपदों में प्रयोगशालाएं हो जाएंगी। वहीं 3 से 4 महीने के अंदर प्रदेश के दूसरे 30 जनपदों में भी ऐसी प्रयोगशालाएं स्थापित करने का निर्देश सीएम ने दिया है। अब इन नई प्रयोगशालाओं के बढ़ने से कोरोना की जांच तेजी से होगी और संक्रमण पर लगाम लगने के साथ ही कोरोना वायरस के नए वेरिएंट की पहचान हो सकेगी।

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