कानपुर के निजी अस्पतालों में 12 से अधिक डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ने की पेशकश की है। साथ ही पैरा मेडिकल का आधा स्टाफ भी चला गया है। जिलाधिकारी आलोक तिवारी के संज्ञान में जब यह बात आई तो वह भी हैरान रह गए। उन्होंने साफ कहा कि यदि कोई डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ कोरोना या बेहतर वेतन के चक्कर में नौकरी छोड़ता है, तो उसकी जांच कराई जाएगी। यदि डॉक्टर की मंशा गलत साबित होती है, तो उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में नौकरी छोड़ना अपराध जैसा है। डॉक्टरों की पढ़ाई में जो खर्च आया था, उसमें नागरिकों का भी योगदान होता है। उन्होंने डॉक्टरों से अपील भी की कि समाज को वर्तमान में सबसे ज्यादा जरूरत उन्हीं की है, वे उससे मुंह न मोड़े।
राजधानी लखनऊ के हालात काफी खराब है। यहां बलरामपुर अस्पताल को कोविड दर्जा प्राप्त हुए तीन सप्ताह हो चुके हैं। और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर सहित उनके संपर्क में आए करीब 40 से अधिक डॉक्टर व 100 से अधिक स्टाफ संक्रमित हो चुका है। लोहिया संस्थान में करीब 40 फीसदी स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हो चुका है। दूसरी लहर में केजीएमयू के 600 से अधिक स्टाफ संक्रमित हो चुका है। डॉक्टरों की इस किल्लत को देखते हुए सरकारी संस्थानों में गैर जनपद से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ बुलाए जा रहे हैं, तो निजी कोविड संस्थानों में कोविड ड्यूटी के लिए डॉक्टरों की भर्ती शुरू हो गई है।
बलरामपुर में फिलहाल गैर जनपद से पांच डॉक्टरों को बुलाकर उनकी सेवाएं ली जा रही हैं। अभी और डॉक्टर व स्टाफ को बुलाया जाएगा। लोकबंधु कोविड अस्पताल में आसपास के जिलों से चार डॉक्टरों की टीम बुलाकर किसी तरह कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है। केजीएमयू प्रशासन दूसरे विभाग से डॉक्टरों को बुलाकर मरीजों का इलाज करवा रहा है। निजी मेडिकल कॉलेज कैरियर हॉस्पिटल में डॉक्टर व स्टाफ की कमी देखते हुए रेजिडेंट की भर्ती निकाली गई है। इसमें पहले बैच में 31 लोगों को भर्ती किया गया है, जिनकी सेवाएं कोविड में ली जा रही हैं। इसी तरह आलमबाग के कारपोर्रेट हॉस्पिटल में कोविड वार्ड में स्टाफ के संकट से ड्यूटी के लिए विज्ञापन निकाला गया है।