गरीब कोटे से यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर प्रोफेसर बने बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई
बेसिक शिक्षा मंत्री पर निशानाउन्होंने कहा कि ये वही मंत्री हैं जो पंचायत चुनाव ड्यूटी में कोरोना संक्रमण से ग्रसित होकर अपनी जान गंवाने वाले शिक्षकों की संख्या के आंकड़ों में न सिर्फ हेराफेरा की थी बल्कि मंत्री महोदय अपनी वाह-वाही में उनकी संख्या तीन बताकर 1621 मृतक शिक्षकों के परिवार के गम को गम नहीं मानते हुए संवेदनहीनता का परिचय दे रहे थे। अब अपने भाई की नियुक्ति मामले में मौन साधकर बोलने से मना कर रहे है।
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि 1621 शिक्षकों की मौत के मामले को नकार कर इसे विपक्ष की साजिश बताने वाले बेसिक शिक्षामंत्री को सामने आकर बताना चाहिए कि पहले से दूसरे विश्वविद्यालय में कार्यरत उनके भाई गरीब कैसे हो गए? उनको निर्धन आय वर्ग का प्रमाणपत्र किसकी सिफारिश पर मिला? सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में उन्होंने एक सामान्य वर्ग के कमजोर अभ्यर्थी का हक क्यों मारा? उन्होंने कहा कि यह एक गम्भीर विषय है कि मंत्री का भाई फर्जीवाड़ा करता है और मंत्री मौन रहता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या विश्वविद्यालय की कुलाधिपति व प्रदेश के मुख्यमंत्री, अपने मंत्री द्वारा अपने भाई को नियम विरुद्ध लाभ पहुंचाने के षड्यंत्र का खुलासा हो जाने पर कार्यवाही करेंगे? उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से यह साबित हो गया है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा को नियम-कानून से कोई लेना देना नहीं है। वह आपदा में अवसर तलाशने वाली प्रजाति की तरह कार्य करने में भरोसा करती है। उसका सामान्य वर्ग के निर्धनों के लिये आरक्षण व्यवस्था में कमजोर अभ्यर्थी का अधिकार हड़पना गलत नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि यह पूरा फर्जीवाड़ा मंत्री के संरक्षण में यदि नहीं हुआ तो उन्हें अपना मुंह खोलना चाहिये। उनके मौन से साबित हो गया है कि पूरे प्रकरण में उनकी गम्भीर संलिप्तता है और वह सवालों से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण की निष्पक्षता के साथ जांच के अलावा मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी की नियुक्ति तत्काल रद्द करने के साथ उनके विरुद्ध नियम सम्मत कार्यवाही की जाए।