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लखनऊ

पंचायत चुनाव में नए सिरे से आरक्षण लागू करने का दिख सकता है बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों पर असर, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कही ये बात

कोर्ट ने 2015 को आधार मानकर आरक्षण की नई व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही समस्त चुनाव प्रक्रिया 25 मई तक पूरा करने का आदेश है। इस बीच 24 अप्रैल से यूपी बोर्ड परीक्षाएं (UP Board Exams) शुरू होने वाली हैं।

लखनऊMar 16, 2021 / 09:59 am

Karishma Lalwani

पंचायत चुनाव में नए सिरे से आरक्षण लागू करने का दिख सकता है बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों पर असर, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कही ये बात

पंचायत चुनाव में नए सिरे से आरक्षण लागू करने का दिख सकता है बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों पर असर, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कही ये बात

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) के लिए अब नए सिरे से आरक्षण होगा। आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा दिए गए आदेश के बाद माना जा रहा है कि चुनावों में देरी हो सकती है। कोर्ट ने 2015 को आधार मानकर आरक्षण की नई व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही समस्त चुनाव प्रक्रिया 25 मई तक पूरा करने का आदेश है। इस बीच 24 अप्रैल से यूपी बोर्ड परीक्षाएं (UP Board Exams) शुरू होने वाली हैं। संभावना है कि अगर पंचायत चुनाव में देरी हुई तो बोर्ड परीक्षा की तारीखों में भी बदलाव हो सकता है। हालांकि, इस संबंध में डीप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है कि पंचायत चुनाव की तारीखें तय होने के बाद दी बोर्ड परीक्षा की तारीखों पर बात होगी।
हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन

डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि अभी बोर्ड परीक्षा की तारीखें 24 अप्रैल से 12 मई ही हैं. पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन हो रहा है। चुनाव की तारीखें आने के बाद ही तय होगा कि बोर्ड परीक्षा की तारीखें बदलनी है या नहीं। दरअसल, पंचायत चुनाव में स्कूलों को पोलिंग बूथ बनाया जाता है। इसका साथ ही शिक्षकों की ड्यूटी भी लगती है। पंचायत चुनाव की तारीखें बदलने पर बोर्ड परीक्षा की तारीखें भी बदल सकती हैं क्योंकि स्कूल में पोलिंग बूथ बनाए जाने के साथ ही शिक्षकों की ड्यूटी भी यहां लगती है।
आरक्षण पर कोर्ट के फैसले पर एक नजर

जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने अजय कुमार की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर 11 फरवरी, 2021 के उस शासनादेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें आरक्षण की व्यवस्था 1995 को आधार मानकर की गई थी। साथ ही चक्रानुक्रम आरक्षण के लिए 2015 को आधार वर्ष न मानकर 1995 को आधार वर्ष मानने को मनमाना व गलत करार देने की मांग की गई थी। इससे पहले कोर्ट ने 12 मार्च को अंतरिम आदेश जारी कर 17 मार्च 2021 तक आरक्षण सूची को अंतिम रूप देकर जारी करने पर रोक लगा दी थी और सरकार व आयोग से जवाब तलब किया था। सोमवार को महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए स्वीकार किया कि 1995 को आरक्षण का मूल वर्ष मानकर सरकार ने गलती की। उन्होंने कहा कि सरकार को वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
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