30 नवंबर तक स्वेटर वितरण का आदेश प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार नि:शुल्क स्वेटर उपलब्ध कराती है। स्वेटर वितरण में लेटलतीफी हर बार सरकार के लिए मुसीबत का सबब बनती है और उसे आलोचना का शिकार होना पड़ता है। इसी को देखते हुए यूपी के प्राथमिक स्कूलों में सरकार के आदेश के बाद अक्टूबर में स्वेटर बंटने थे, लेकिन 22 नवंबर तक गोदामों तक 30 प्रतिशत स्वेटर ही पहुंचे और स्वेटर वितरण की तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर की गई। लेकिन अभी तक बच्चों के तन पर सिर्फ सूती शर्ट है। वहीं इस संबंध में स्कूलों के प्रधानाचार्य शासन की तरफ से स्वेटर वितरण के संबंध में कोई भी सूचना नहीं आने की बात कर रहे हैं। वहीं जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि इस बार शासन की तरफ से स्वेटर वितरण के लिए एक नई प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा, जिसकी वजह से दिक्कत हो रही है।
जेम पोर्टल से होगी खरीददारी दरअसल अभी तक विद्यालय के स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) के पास स्वेटर वितरण की जिम्मेदारी होती थी। विद्यालय के प्रधानाचार्य स्थानीय स्तर पर ही एक विक्रेता का चयन कर स्वेटर का वितरण करते थे। हालांकि तब भी स्वेटर वितरण में विलंब और धांधली संबंधी तमाम खबरें सामने आती थीं। इसको देखते हुए सरकार ने जेम पोर्टल के माध्यम से स्वेटर खरीदारी करने के आदेश दिए। इसके लिए हर जिले से एक बड़ी कंपनी को टेंडर के द्वारा चयनित कर स्वेटर वितरण की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन इस बार भी वही कहानी दोहराई जा रही है। स्वेटर वितरण की आखिरी तारीख बदल रही है और विद्यार्थी ठंड में ठिठुरते हुए पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
वहीं इस मुद्दे पर यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि हम लोग रोजाना स्वेटर वितरण की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। अभी तक की प्रगति के अनुसार दो-तीन जिलों को छोड़कर, उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से वर्क ऑर्डर हो चुके हैं। इन दो-तीन जिलों में जिनको स्वेटर वितरण का काम मिला था, वह कंपनियां पीछे हट गईं। इस वजह से वहां दोबारा बिड के बाद स्वेटर वितरण की प्रक्रिया शुरू कराई गई है। बाकी जिलों में आपूर्ति का ऑर्डर हो चुका है। वहीं कई जिलों में स्वेटर बंटने का काम शुरू भी हो चुका है