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लखनऊ

UP Assembly Elections 2022 : सपा का वर्चस्व तोड़ने के लिए भाजपा कराएगी यादव सम्मेलन, अखिलेश ने भी बनाया मास्टर प्लान

UP Assembly Elections 2022- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी सहित सभी छोटे-बड़े दल जातीय समीकरण दुरुस्त करने की कवायद में है। भाजपा नवरात्र से जहां उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में 200 जातीय रैलियां करेगी वहीं समाजवादी पार्टी गैर यादव नेताओं को आगे कर पिछड़ों में पैठ बना रही है

लखनऊOct 02, 2021 / 03:35 pm

Hariom Dwivedi

UP Assembly Elections 2022 BJP Yadav Sammelan to defeat samajwadi party
लखनऊ. UP Assembly Elections 2022- उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण हार-जीत में अहम रोल अदा करते हैं। इसीलिए चुनाव से पहले हर दल की कोशिश इन्हें दुरुस्त करने की होती है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा 350 प्लस सीटें जीतने का दावा कर रही है। इसे हासिल करने के लिए भाजपा अब जिलों में जातीय सम्मेलन कराने जा रही है। भारतीय जनता पार्टी नवरात्र से नवंबर तक पूरे प्रदेश में छोटी-छोटी जातियों के 200 सम्मेलन करेगी। खासकर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व तोड़ने के लिए यादव बाहुल्य क्षेत्रों में यादव सम्मेलन किये जाएंगे। बीजेपी के दिग्गज नेता व पदाधिकारी जातीय सम्मेलनों में लोगों को सरकार की जनहितकारी योजनाओं के बारे में बताएंगे।
उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग जातियों का प्रभाव है। कई विधानसभा क्षेत्रों में छोटी जातियों की संख्या हार-जीत के समीकरण तय करने में सक्षम हैं। इन जातियों में निषाद, प्रजापति, यादव, सैनी, तेली, कुशवाहा, मौर्य, प्रजापति, कुर्मी, पटेल, चौरसिया, साहू, गंगवार, दर्जी, पाल, विश्वकर्मा, धीमान, जांगिड़, लोधी, मैथिल, नाई, सैन, सविता, स्वर्णकार जैसी तमाम जातियां शामिल हैं। इन्हें पक्ष में करने के लिए भाजपा जातीय सम्मेलन करेगी। जिस विधानसभा में जिस जाति का प्रभाव है, वहां उस जाति का सम्मेलन कराया जाएगा। जातीय सम्मेलनों को भाजपा के दिग्गज नेता व पदाधिकारी संबोधित करेंगे। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कई सम्मेलनों को सबोधित करेंगे। इसके अलावा सम्मेलनों में इन जातियों के प्रभावशाली उन लोगों को शामिल किया जाएगा, जिनका किसी अन्य राजनीतिक दलों से संबंध नहीं है।
जातीय जातीय समीकरण
उत्तर प्रदेश में 41 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं। इनमें 13 फीसदी यादव, 12 फीसदी कुर्मी और 3.6 फीसदी जाट हैं। इसके अलावा कई सीटों पर लोधी, निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, राजभर, मौर्य, कश्यप, कुहार, प्रजापति जैसी छोटी जातियों का भी खासा प्रभाव है। 21 फीसदी दलितों में जाटव, बाल्मीकि, पासी, धोबी और कोरी प्रमुख जातियां हैं, जिनमें 66 उपजातियां हैं। इसमें जाटव समुदाय का वोट सबसे ज्यादा करीब 56 फीसदी है। वहीं, पासी 16 फीसदी, धोबी, कोरी और बाल्मीकि 15 फीसदी, जबकि गोंड, धानुक और खटीक 5 फीसदी हैं। इसके अलावा प्रदेश में करीब 19 फीसदी मुस्लिम, 12 फीसदी ब्राह्मण और 7 फीसदी ठाकुर हैं।
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युवा सम्मेलन भी करेगी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी का फोकस उन युवाओं पर भी है, जो इस बार पहली बार वोट करेंगे। ऐसे युवाओं को जोड़ने के लिए भाजपा सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में युवाओं को लेकर विशेष अभियान चलाएगी। इसके तहत युवा सम्मान कार्यक्रमों से लेकर पार्टी यूथ कॉन्क्लेव तक करेगी। 2017 का विधानसभा चुनाव हो या फिर 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी को जिताने में युवाओं की भूमिका अहम रही है। इस बार भी भाजपा इनके सहारे ही चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। युवाओं को पार्टी से जोड़ने का जिम्मा यूथ आइकॉन माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को सौंपा गया है। भाजपा नेता-कार्यकर्ता युवा सम्मेलनों के जरिए युवाओं को पार्टी के कार्यक्रमों में लाएंगे और उन्हें पार्टी की सदस्यता भी दिलाएंगे।
यादवों की पार्टी का ठप्पे छुटकारा पाने की कोशिश में अखिलेश
समाजवादी पार्टी ‘यादवों की पार्टी’ है, इस बार अखिलेश यादव इस ठप्पे से छुटकारा पाने की जुगत में हैं। 2022 में जीत के लिए समाजवादी पार्टी गैर यादव पिछड़ों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सपा की ओर से कुर्मी, मौर्य, निषाद, कुशवाहा, प्रजापति, सैनी, कश्यप, वर्मा, काछी, सविता समाज व अन्य पिछड़ी जातियों को जोड़ने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत प्रदेश भर में अलग-अलग हिस्सों में यात्राएं निकाली जा रही है, जिनका नेतृत्व गैर यादव पिछड़े नेता कर रहे हैं। पिछड़ा वर्ग सम्मेलन भी किए जा रहे हैं। जातिगत जनगणना की भी मांग उठाई जा रही है।

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