जो देख नहीं सकते उन्हें दिखा रहीं भविष्य का रास्ता, ओलम्पिक में Gold दिलाएंगे जूडो के खिलाड़ी
शहरों की चकाचौध हो या गांवों का सन्नाटा, खेतों की डगर हो या हाइवे का सफर, जब भी एक लड़की अकेली निकलती है। सबसे पहले उसे बदमाशों का डर उसे और उसके परिवार को बस सबसे ज्यादा उसकी सुरक्षा का डर सताता है। ऐसे में हर लड़की को अपनी सुरक्षा करने का संदेश दे रही हैं नेशनल प्लेयर जया साहू। जया उत्तर प्रदेश में गांव-गांव जाकर लड़कियों को सेल्फ डिफेंस को अपना करियर बनाने की ट्रेनिंग दे रही हैं।
करिश्मा लालवानी खेल जगत में लड़कियों और छोटे बच्चों को ट्रेनिंग देकर उनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा भरने वाली जया साहू बताती हैं कि वह कई वर्षों से बच्चों को जूडो की ट्रेनिंग दे रही हैं। वर्तमान में वह केडी सिंह बाबू स्टेडियम में छोटे-बड़े, मूक-बधिर सहित हर तरह के बच्चों को ट्रेनिंग दे रही हैं।
मां ने पहचाना था हुनर जया के हुनर की पहचान सबसे पहले उनकी मां ने की था। शुरुआत में घर वालों ने सपोर्ट नहीं किया था लेकिन मां से उन्हें हमेशा सपोर्ट मिलता रहा। उनकी मां ही थीं जिन्होंने उनकी कला और उनके टैलेंट को पहचान कर उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
गांव में दी है ट्रेनिंग जया और उनकी टीम ने गांव में भी बच्चों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी है। खासतौर से वह बच्चे जो देख-सुन नहीं सकते। जया ने बताया कि योगी सरकार के आत्मनिर्भर अभियान के तहत गांव के माध्यमिक स्कूल में जाकर बच्चों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी है। उनका सपना है कि वह इसी खेल से राष्ट्र का नाम रोशन करें।
कई उपलब्धियां की अपने नाम जया इंडियन ब्लाइंड पैरा जूडो एसोसिएशन से जुड़ी हैं। उनके नाम कई उपलब्धियां हैं। वह नेशनल जूडो ब्लैक बेल्ट चैंपियन रह चुकी हैं। 1996 में जूनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप जीती थी। जनवरी 2018 में जम्मू में जूडो से जुड़ी प्रतियोगिता में भाग लेकर अपना हुनर दिखाया था।
गोल्ड मेडल जीतकर किया नाम रोशन न सिर्फ यूपी बल्कि विदेशों में भी जया के स्टूडेंट्स ने कमाल दिखाया है। इनके स्टूडेंट्स कमल शर्मा और आशीष शुक्ला ने हंगरी में होने वाली खेल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया। कमल और आशीष देख नहीं सकते लेकिन जया की ट्रेनिंग ने उन्हें उनके बेहतर भविष्य का रास्ता दिखाया है।
प्रतिभा निखारने का मिल रहा मौका ट्रेनिंग लेने वाले छात्र सूजल कहते हैं कि जूडो से उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिल रहा है। सूजल देख नहीं सकते, बावजूद इसके वह ट्रेनिंग में अच्छा प्रदर्शन देने से पीछे नहीं हटते। वह बताते हैं कि वह दो साल से इस खेल से जुड़े हैं। फरवरी में आयोजित टूरनामेंट में भाग लिया था। हालांकि, उसमें जीत नहीं मिली लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ।
अभिषेक और दिव्या, जो सुन नहीं सकते, वह भी जया से ट्रेनिंग लेकर अपने भविष्य को बेहतर बना रहे हैं। उनके छात्र राहुल, आयुष, निशांत, प्रिंस, राजीव, सुशांत, अभय प्रताप, रवि, आकर्षिका और कान्हा जायसवाल हैं।
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