वर्ष 1860 से बन रहे पुतले
अल्मोड़ा नगर में दशहरे पर रावण परिवार के पुतलों के निर्माण की परंपरा करीब डेढ़ सौ साल पहले से चली आ रही है। यहां के हर एक मोहल्ले से रावण परिवार के एक-एक राक्षस का पुतला बनाया जाता है। मोहल्ले के कारीगर करीब एक माह पहले से ही पुतले निर्माण में जुट जाते हैं। दशहरे के लिए उन सभी पुतलों को एक स्थान पर लाकर वहां से ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकाला जाता है। सबसे आकर्षक पुतला बनाने वाली कमेटी को पुरस्कृत किया जाता है। ये भी पढ़ें:-
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अल्मोड़ा के दशहरे में इस बार रावण परिवार के 17 पुतलों का निर्माण किया गया है। विजयदशमी पर आज को नगर में रावण परिवार के 17 पुतलों का भव्य जुलूस निकाला जा रहा है। देर रात एसएसजे परिसर के जंतु विज्ञान परिसर के निकट पुतलों का दहन किया जाएगा। कुल्लू के बाद अल्मोड़ा का दशहरा पर्व पूरे देश में प्रसिद्ध है। दशहरा महोत्सव समिति के पूर्व अध्यक्ष मनोज सनवाल के मुताबिक 1860 में नगर के बद्रेश्वर में पहली रामलीला का मंचन किया गया। इस रामलीला में घास के ढेर को प्रतीकात्मक रावण के रूप में जलाया गया था। बद्रेश्वर में स्थापित शिव मंदिर परिसर में ही तब रामलीला मंचन और रावण के पुतले का दहन होता था