योजना के तहत, पात्र मत्स्य पालकों को 35,000 रुपये की राशि उनकी बेटी के खाते में भेजी जाएगी, और 16,000 रुपये विवाह से संबंधित अन्य खर्चों जैसे कपड़े, जेवर, बर्तन आदि के लिए दिए जाएंगे। योजना का लाभ उन्हीं मछुआरों को मिलेगा, जिनकी वार्षिक आय 2 लाख रुपये से कम है और जो पिछले एक वर्ष या उससे अधिक समय से मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
योजना के लाभार्थी समुदाय: इस योजना का लाभ मछुआरा समुदाय के विभिन्न वर्गों जैसे मत्स्य आखेटक, केवट, मल्लाह, निषाद, बिंद, धीगर, कश्यप, रैकतार, मांझी, गोडिया, कहार, तुरेहा और तुराहा समुदाय को मिलेगा।
आवेदन प्रक्रिया और दिशा-निर्देश: उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग ने योजना के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रमुख सचिव के. रविंद्र नायर ने जानकारी दी कि राज्यपाल द्वारा इस योजना को स्वीकृति दी गई है। पात्र परिवार इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
योजना का उद्देश्य: योजना का मुख्य उद्देश्य मछुआरा समुदाय को आर्थिक सहायता प्रदान करना और उनकी बेटियों के विवाह के खर्च को साझा करना है। इससे न केवल आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि बेटियों की शादी के समय परिवारों को राहत भी मिलेगी।
सरकार का बयान
सरकार का कहना है कि यह योजना मछुआरा समुदाय के उत्थान और उनकी बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक बड़ी पहल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल को मछुआरा समुदाय में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। यह योजना उन परिवारों के लिए वरदान साबित होगी, जो आर्थिक तंगी के कारण अपनी बेटियों की शादी में कठिनाई महसूस करते हैं। यह योजना सरकार की सामाजिक कल्याण नीतियों की दिशा में एक और अहम कदम है।