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लखनऊ आने पर बिना मक्खन-मलाई खाये नहीं रह पाती थीं सुषमा, चुनाव नतीजों से पहले ही ऐलान कर देती थीं विनिंग कैंडीडेट का नाम

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (External Affairs Minister Sushma Swaraj) का मंगलवार रात निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। सुषमा स्वराज एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें ‘जन मंत्री’ कहा जाता था।

लखनऊAug 07, 2019 / 09:37 am

आकांक्षा सिंह

लखनऊ आने पर बिना मक्खन-मलाई खाये नहीं रह पाती थीं सुषमा, चुनाव नतीजों से पहले ही ऐलान कर देती थीं विनिंग कैंडीडेट का नाम

लखनऊ. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (External Affairs Minister Sushma Swaraj) का मंगलवार रात निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें ‘जन मंत्री’ कहा जाता था। उनके निधन से पूरा देश गमगीन है और अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहा है। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के निधन की खबर यूपी के भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों के लिए भी बड़ा सियासी नुकसान है। भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का लखनऊ से गहरा नाता रहा है। बता दें लखनऊ अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का संसदीय क्षेत्र रहा है। चुनाव के दौरान ने अक्सर लखनऊ आय़ा करती थी। यहां वह न केवल अटल बिहारी वाजपेयी के लिये चुनाव प्रचार करती ल्कि कमोबेश हर नुक्कड़ पर सभा भी करती थीं। उनकी लोकप्रियता का यह पैमाना था कि भाजपा ने उन्हें वर्ष 2000 में यूपी से राज्यसभा में भेजा और बाद में वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं।

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सियासी नब्ज भांप लेतीं थीं सुषमा

भाजपा सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री आशुतोष टंडन (Medical and Health Minister Ashutosh Tandon) कहते हैं कि उन्हें लखनऊ से खासा लगाव हो गया था। वह अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव प्रचार में लखनऊ आतीं तो पूरे प्रदेश की सियासी नब्ज भांप लेतीं। फलां प्रत्याशी जीत रहा है और फलां कमजोर, हर छोटी-बड़े सियासी समीकरण का उन्हें अंदाजा रहता। कई-कई दिनों तक अटल बिहारी बाजपेयी अपना चुनाव प्रचार उनके जिम्मे छोड़ देते। उनको निकट से जानने वाले भाजपा नेता कहते हैं कि हर छोटे-बड़े कार्यकर्ता से सरलता से पेश आना उनकी शख्सियत की खासियत थी। उन्होंने लखनऊ संसदीय सीट पर अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही लालजी टंडन के अलावा भाजपा के कई विधायकों के लिए प्रचार किया।

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“चौक में रुकती थी”

आशुतोष टंडन अपना संस्मरण साझा करते हुए कहते हैं, ‘जब भी लखनऊ आतीं तो मेरे पुराने घर पर चौक में ही रुकती। उन्हें चौक की मक्खन मलाई का स्वाद ऐसा चढ़ा कि वह जब आतीं तो मक्खन मलाई जरूर खातीं। उन्हें अलीगंज में कपूरथला पर नुक्कड़ सभा करना पसंद था। वह चाहती थीं कि जहां बुद्धिजीवियों की तादाद ज्यादा हो वहां वह भाषण दें। अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव में वह बिना बुलाए आ जातीं और जमकर प्रचार करतीं।

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