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लखनऊ

योगी सरकार का फैसला, 17 OBC जातियों को SC की लिस्ट में शामिल करने के लिए फिर होगा सर्वे

प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बताया कि उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो गई है और ऐसी संभावना है कि विधान मंडल के मानसून सत्र के दौरान 17 ओबीसी जातियों को एससी की लिस्ट में शामिल करने के बारे में प्रस्ताव पारित करवाकर केन्द्र को भेजा जाएगा।

लखनऊSep 21, 2022 / 10:11 am

Jyoti Singh

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Survey will be done again to include 17 OBC castes in the list of SC

उत्तर प्रदेश की 17 ओबीसी जातियों को एससी की लिस्ट में शामिल करने के लिए योगी सरकार ने एक बार फिर सर्वे कराने का फैसला लिया है। दोबारा से सर्वे कराने के बाद ही सर्वे के आकड़ों का विधिवत विश्लेषण कर ठोस आधार तैयार किया जाएगा और इसके बाद प्रस्ताव तैयार होगा। जिसके बाद उसे संसद में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। ये जानकारी समाज कल्याण विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों की तरफ से दी गई है। जिसमें बताया गया है कि पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद समाज कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण से मिले थे। इस दौरान उन्होंने इस बाबत प्रस्ताव ड्राफ्ट तैयार किये जाने पर चर्चा की थी।
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सरकार फूंक-फूंक कर कदम उठा रही

सूत्रों के अनुसार डॉ. निषाद ने बाकायदा प्रेस कान्फ्रेंस भी बुलाई थी। इस दौरान उन्होंने तो ये तक कह दिया था कि उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो गई है और ऐसी संभावना है कि विधान मंडल के मानसून सत्र के दौरान इस बारे में प्रस्ताव पारित करवाकर केन्द्र को भेजा जाएगा। लेकिन खबरों के मुताबिक, ऐसा पता चला कि मौजूदा सत्र में इस बारे में सरकार शायद ही कोई प्रस्ताव लाए। भाजपा संगठन और सरकार दोनों ही इस मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की लिस्ट में शामिल करने के लिए प्रदेश सरकार बहुत ठोस संवैधानिक तथ्य जुटा रही है।
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अधिसूचना जारी होने के बाद बदलाव नहीं

बता दें कि संविधान का का अनुच्छेद-341 साफ तौर पर कहता है कि अनुसूचित जातियां आदेश 1950 और यथा संशोधित 1976 के तहत जारी हो चुकी अधिसूचना में कोई भी नाम जोड़ना या घटाना ही नहीं उसकी किसी भी तरह की व्याख्या भी सिर्फ संसद ही कर सकती है। इस अनुच्छेद के अनुसार अधिसूचना राष्ट्रपति जारी करते हैं। इसके बाद एक बार जारी हो जाने पर इसमें किसी तरह का बदलाव या स्पष्टीकरण का अधिकार राष्ट्रपति के पास भी नहीं है।

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