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लखनऊ

स्टेज से बोलने में लगता था डर, IIT से पढ़ाई, कलेक्टर बनने के लिए छोड़ी लाखों की सैलरी, पहले IRS बने फिर IAS

IAS अफसर बनने और UPSC एग्जाम की सक्सेस स्टोरी तो आपने बहुत पढ़ी, सुनी और देखी होगी। लेकिन, आज आपको एक ऐसे अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं जिनको बचपन में स्टेज से भाषण देने में डर लगता था। जिनके दोस्त कम थे। लेकिन, उन्होंने ‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ की कहावत को शब्दशः चरितार्थ किया। जी हां, हम बात कर रहे हैं 2013 बैच के IAS अफसर ऋषि गर्ग की। आइए उनकी IAS बनने की पूरी कहानी को जानते हैं…

लखनऊJan 01, 2024 / 08:58 pm

Vikash Singh

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दोस्त के डिसीजन ने लाया ऋषि के जिंदगी में टर्निंग पॉइंट


यह कहानी है यूपी में जन्में और वर्तमान में मध्य प्रदेश के हरदा जिले के कलेक्टर ऋषि गर्ग की।ऋषि 2013 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के IAS अफसर हैं। वह बचपन से ही पढ़ने-लिखने में तेज तर्रार स्टूडेंट रहे हैं। लेकिन, उनके अनुसार वह हमेशा से ही एक संकोची और अंतर्मुखी प्रवृत्ति यानी इंट्रोवर्ट इंसान रहे हैं। बचपन के दिनों को याद करते हुए वह बताते हैं कि उनको मंच से बहुत डर लगता था। ऋषि के फ्रेंड लिस्ट में उनके मित्र भी बहुत कम थे।

कहानी में आगे बढ़ने से पहले ऋषि के फैमिली बैकग्रॉउंड और उनके स्कूल के दिनों के बारे में जान लेते हैं…

ऋषि का जन्म यूपी के आगरा जिले में हुआ था। वह एक सामान्य मध्यमवर्गीय यानी मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं। उनके पिता PWD में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के रूप में पदस्थ थे, फिलहाल वह रिटायर हो चुके हैं। ऋषि के पत्नी का नाम कोशिका गर्ग है और उन्होंने नोएडा से मैनेजमेंट यानी MBA की डिग्री हासिल की है।

ऋषि की स्कूलिंग लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल से हुई। पढ़ाई में वह टॉपर थे। बोर्ड एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के लिए स्कूल ने उनको सम्मानित भी किया था। ऋषि बताते हैं कि उनके पिता ने IIT-BHU से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उनको देखकर ही मन में सबसे पहले इंजीनियरिंग करने का आइडिया आया।

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स्कूल के दिनों को जानने के बाद अब ऋषि के सक्सेस जर्नी पर वापस आते हैं…

साल 2004 में पास किया IIT एग्जाम, पहली नौकरी में मिला 8 लाख का पैकेज
साल 2004 में उन्होंने IIT-JEE की परीक्षा 249वीं रैंक के साथ पास की। बेहतर रैंक होने की वजह से उनको इंडिया के टॉप IIT में से एक IIT कानपुर में एडमिशन मिला। उन्होंने यहां से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद उन्होंने मुंबई में एक लीगल फर्म में काम करना शुरू किया। वहां पर वह अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए पेटेंट तैयार करने का काम करते थे। उस वक्त उनका पैकेज 8 लाख रूपए सालाना था।

दोस्त के डिसीजन ने लाया ऋषि के जिंदगी में टर्निंग पॉइंट
मुंबई में वह अपने दोस्तों के साथ रहते थे। 2 साल की नौकरी के बाद उनके एक दोस्त ने दिल्ली जाकर UPSC की तैयारी करने का डिसीजन लिया। दोस्त का फैसला ऋषि के लाइफ में टर्निंग पॉइंट लेकर आया। उस समय ऋषि को सिविल सर्विस एग्जाम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। लेकिन, उन्होंने दुनिया के सबसे कठिन एग्जाम के बारे में रिसर्च किया और फिर खुद भी UPSC की तैयारी करने की ठान ली।

कलेक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए लाखों की सैलरी वाली नौकरी छोड़ी
ऋषि ने कलेक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए लाखों की सैलरी वाली कार्पोरेट जॉब को छोड़ दिया। लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़ना इतना आसान नहीं था। लेकिन, ऋषि को घर वालों का पूरा सपोर्ट मिला। दोस्तों ने भी उनका हौसला बढ़ाया।

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पहली बार में पास किया UPSC, IRS मिला लेकिन IAS छोड़ कुछ भी नहीं था मंजूर

यह ऋषि के कड़ी मेहनत का ही नतीजा था कि उन्होंने पहली बार में ही UPSC एग्जाम क्लियर कर लिया। उन्होंने साल 2012 में UPSC में 398वीं रैंक हासिल की और IRS अधिकारी बने। लेकिन, उनके मन में कलेक्टर बनने की इच्छा थी। IAS बनने के लिए उन्होंने दोबारा परीक्षा दी। इस बार उन्होंने और अधिक मेहनत की और UPSC 2013 में ऑल इंडिया 49वीं रैंक हासिल किया और IAS अफसर बनने के सपने को साकार किया।

ऋषि की सफलता दुष्यंत कुमार की उस विचार को चरितार्थ करती है जिसमें उन्होंने कहा, ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।’ यानी कोई भी लक्ष्य इंसान के दृढ़ निश्चय के आगे बड़ा नहीं हो सकता। जरुरत है बस एक बार कुछ कर गुजरने के ठान लेने की।

LBSNAA यानी लाल बहादुर शास्त्री अकादमी में प्रशिक्षण में भी ऋषि ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। अकादमी में उन्होंने क्रॉस-कंट्री रेस में चौथी पोजीशन हासिल की। जिसके लिए उन्हें अकादमी के डायरेक्टर द्वारा शील्ड से सम्मानित भी किया गया। ऋषि ने हेल्थ और नुट्रिशन पर होने वाले केस स्टडी कांटेस्ट में भी फर्स्ट प्राइज जीता।
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मध्य प्रदेश कैडर मिला, पहली पोस्टिंग नरसिंहगढ़ में हुई

IAS बनने के बाद उन्हें मध्य प्रदेश कैडर अलॉट हुआ। ऋषि की पहली पोस्टिंग नरसिंहगढ़ जिले में अनुविभागीय अधिकारी के रूप में हुई। इसके बाद उन्होंने श्योपुर, छिंदवाड़ा औऱ उज्जैन जिले में भी अपनी सेवाएं दीं। वर्तमान में वह जिला कलेक्टर हरदा के रूप में पदस्थ हैं। बतौर कलेक्टर उनका प्रयास रहता है कि जितनी भी सरकारी योजनाएं हैं उनको समाज के आखिरी पायदान पर बैठे नागरिक तक कैसे पहुंचाई जाए।

जनता की योजना जनता के द्वार तक पहुंचाकर पेश की अनूठी मिसाल
ट्रेनिंग के दौरान बतौर असिस्टेंट कलेक्टर गुना में उन्होंने कार्यभार संभाला। इस दौरान उन्होंने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत एक 85 साल के वरिष्ठ नागरिक को न्याय दिलाया जिससे स्थानीय लोगों और मीडिया में उनकी इस कदम की सराहना भी हुई।

आम तौर पर नागरिकों को सेवाएं लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं जिससे उनका काफी समय बर्बाद होता है और कहीं-कहीं तो शोषण तक का सामना करना पड़ता है। अतः नागरिकों को सेवा लेने में आसानी हो, सरकारी ऑफिस के चक्कर न काटना पड़े इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों को ग्राम स्तर पर शिविर लगाने को कहा।

इसके परिणाम पॉजिटिव रूप में दर्ज हुए। ग्राम चौपाल, साइबर सखी, समरसता शिविर, क्लस्टर क्रेडिट कैंप, वसुमता कैंप, जल ज्योतिर्मय कैंप और जीवनम स्वास्थ्य शिविर कुछ ऐसे अनूठे प्रयोग है जिससे हरदा जिले के लोगों को लाभ मिला। इस इनोवेशन के लिए हरदा कलेक्टर ऋषि गर्ग की मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गत वर्ष हुई कलेक्टर कांफ्रेंस में भी तारीफ भी की थी।

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भूमि डिजिटलीकरण के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से हुए सम्मानित

हरदा में ही भूमि के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और व्यवस्थित संधारण के लिए ऋषि गर्ग को राष्ट्रपति द्वारा भूमि सम्मान अवार्ड नई दिल्ली में दिया गया।

 
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ऋषि ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस हैदराबाद से पब्लिक पालिसी में मैनेजमेंट प्रोग्राम भी किया है। इसके अतिरिक्त ऋषि बैडमिंटन, टी टी, गाना गाने और किताबें पढ़ने के भी शौकीन हैं।

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