बच्ची से हुआ था दुष्कर्म लगभग 9 माह पहले इस बच्ची के साथ उसके ही पड़ोस में रहने वाले युवक ने दुष्कर्म किया था। परिवार ने मामले की शिकायत इंदिरा नगर थाने की पुलिस से की थी। आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर उसे पुलिस ने जेल भेज दिया था। युवक के जेल जाने के बाद परिवार ने कुछ राहत की सांस ली लेकिन दुष्कर्म के दंश से भी बड़ी मुसीबत उसका इन्तजार कर रही थी। लगभग पांच महीने पहले बच्चे के पेट में दर्द हुआ तो डॉक्टर को दिखाया गया। जब डॉक्टरों ने बच्ची का परीक्षण कर उसकी जानकारी परिवार को दी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। बच्ची के गर्भवती होने के बारे में पता चला परिवार के लोग सदमे में आ गए।
अस्पताल में हुई डिलीवरी बच्ची के गर्भवती होने की जानकारी परिवार के लोगों ने काफी समय तक किसी को नहीं बताई लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, वैसे-वैसे परिवार का तनाव भी बढ़ने लगा। आखिरकार किसी तरह इस मामले की जानकारी चाइल्डलाइन तक पहुंचाई गई। चाइल्डलाइन ने गैर सरकारी संस्था आशा ज्योति की मदद से परिवार को अस्पताल में बच्ची को भर्ती करने के लिए तैयार किया गया। बच्ची को राजधानी के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया। शनिवार को बच्ची ने एक बच्चे को जन्म दिया।
बच्चे को अपनाने से इंकार परिवार ने नवजात को अपने साथ ले जाने से इंकार कर दिया है। परिवार के लोग कहते हैं कि बिना बाप के इस नवजात को लेकर समाज वे किस तरह से जायेंगे। परिवार के इस ऐलान के बाद उन्हें समझाने बुझाने की कोशिश शुरू हुई। बाद में परिवार के लोग नवजात को रखने के लिए तैयार हो गए। प्रशासन ने निर्णय लिया है कि नवजात बच्चे और दुष्कर्म पीड़िता मां को शेल्टर होम में रखा जाएगा। इस मामले का संज्ञान सरकार ने भी लिया है और परिवार को मदद देने की कोशिश में सामाजिक संस्थाएं भी आगे आई हैं।
प्रशासनिक स्तर पर सुस्ती बच्ची के साथ घटी इस दर्दनाक घटना के पुलिस, प्रशासन और सरकार की संवेदनहीनता सामने आई है। दुष्कर्म पीड़िता बच्ची के बारे में बाल कल्याण समिति को जानकारी उस समय हुई जब बच्ची के गर्भवती होने और उसके अस्पताल में भर्ती होने की खबर मीडिया के माध्यम से सामने आई। रेप की घटना के बाद पुलिस ने बाल कल्याण समिति को मामले की जानकारी नहीं दी और बाल कल्याण समिति ने भी बच्चों के प्रति हो रहे अपराधों की कभी जानकारी लेने की जहमत नहीं उठाई।
पूर्व में भी सामने आये हैं मामले इस तरह का मामला पूर्व में भी सामने आ चुका है। साल 2015 में बाराबंकी में एक 13 साल की बच्ची दुष्कर्म के बाद गर्भवती हो गई थी। इस मामले में पीड़िता की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर गर्भपात की अनुमति मांगी गई थी। हाईकोर्ट ने तब केजीएमयू को बच्ची का सुरक्षित
प्रसव कराने और पीड़िता के परिवार की मदद के लिए यूपी सरकार को आदेश दिए थे।