प्रो. राय यूनिवर्सिटी के पहले पूर्णकालिक वीसी थे। इनसे पहले तक यहां के वीसी का चार्ज आईएएस ऑफिसर के पास रहा है। पिछले दिनों उन्होंने तीन साल पूरे किए थे। प्रो. राय ने वीसी का पदभार ग्रहण करने के बाद यूनिवर्सिटी में कई बदलाव किए। सबसे पहले उन्होंने यहां की फीस कम की, जिससे यूनिवर्सिटी छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ। इसके बाद अध्यापकों की नियुक्ति की, वहीं लॉ, साइंस, फाइन आर्ट फैकल्टी की शुरुआत की, जिसमें दर्जनों कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। पहली बार दीक्षांत समारोह भी इन्हीं के कार्यकाल में हुआ तो भोजपुरी केंद्र, ऑडिटोरियम समेत यहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी काफी बदलाव किया गया। हालांकि नियुक्तियों को लेकर तमाम सवाल उठे, जिसके बाद शासन ने जांच बैठा दी।
प्रो. राय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए व पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद जनवरी 1991 में वे लखनऊ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए। प्रो. राय ने एक दर्जन से अधिक पुस्तकों का लेखन एवं संपादन के साथ-साथ 13 शोध पत्रों का प्रकाशन भी किया। उन्होंने 13 बुक रिव्यू, दो दर्जन से अधिक शोध कार्य एवं ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किए। इसके अलावा 200 से अधिक राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय संगोष्ठियों का भी आयोजन किया है।
प्रो. राय यूनिवर्सिटी के पहले पूर्णकालिक वीसी थे। इनसे पहले तक यहां के वीसी का चार्ज आईएएस ऑफिसर के पास रहा है। पिछले दिनों उन्होंने तीन साल पूरे किए थे। प्रो. राय ने वीसी का पदभार ग्रहण करने के बाद यूनिवर्सिटी में कई बदलाव किए। सबसे पहले उन्होंने यहां की फीस कम की, जिससे यूनिवर्सिटी छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ।