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लखनऊ

पापा, बॉस, दारू और राम के नाम से भी कमाई करेगा आरटीओ

गाड़ियों के नंबर प्लेटों पर लिखे हुए नंबर कई बार आपको चौंका देते होंगे।

लखनऊMar 09, 2018 / 04:16 pm

Laxmi Narayan Sharma

special number plate
लखनऊ. गाड़ियों के नंबर प्लेटों पर लिखे हुए नंबर कई बार आपको चौंका देते होंगे। कभी बॉस तो कभी पापा जैसे शब्द आपको हैरत में भी डाल देते होंगे। दरअसल इस तरह लिखे गए शब्दों को ध्यान से देखने पर पाएंगे कि दरअसल ये शब्द नहीं है बल्कि ये गाड़ी इन्हें इस तरह लिखा गया है कि ये शब्द का आकार ले लेते हैं। कई नंबर ऐसे हैं जिन्हें स्टाइलिश तरीके से लिखने पर वे शब्द का रूप धारण कर लेते हैं। मसलन किसी गाड़ी को आवंटित नंबर 8055 को कई बार लोग स्टाइलिश रूप दे देते हैं जिससे यह अंग्रेज़ी के बॉस की तरह दिखाई देने लगता है। हालाँकि नंबरों को स्टाइलिश रूप में लिखना भी मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन माना जाता है और इस पर रोक लगाना परिवहन विभाग के लिए एक चुनौती साबित होती है।
कैसे-कैसे नंबर

गाड़ियों के नंबरों को लोग किस-किस तरह का रूप दे सकते हैं, इस बात का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। गाड़ी संख्या 4129 को लोग हिंदी का ‘दारू’ बना देते हैं तो 8148 को तोड़-मरोड़ कर इंग्लिश का बिग बी ( BIG B) की शक्ल दे देते हैं। किसी गाड़ी का नंबर 4141 हो तो लोग उसे हिंदी के पापा शब्द की तरह नंबर प्लेट पर लिख डालते हैं। आलम यह है कि लोगों ने 2741 नंबर को सपा लिखा हुआ जबकि 214 का रूप बदलकर राम लिख दिया जाता है। इसी तरह नंबर 8055 को लोग अंग्रेजी का बॉस ( BOSS ) लिख देते हैं। इस तरह के कई और नंबर हैं जिनको लोग स्टाइलिश रूप देकर शब्द में बदल देते हैं।
स्टाइलिश नंबर पर रोक लगाना है चुनौती

लोग भले ही नंबरों को स्टाइलिश रूप देकर शब्दों में बदल देते हों लेकिन मोटर व्हीकल एक्ट में इसे अपराध माना जाता है। परिवहन विभाग के लिए ऐसे नंबरों के उपयोग पर रोक लगाना हमेशा चुनौती बनी रहती हैं क्योंकि मोटर व्हीकल ऐक्ट में नंबरों को लिखने का एक निर्धारित मानक बनाया गया है। परिवहन विभाग ऐसे नंबरों वाले वाहनों के खिलाफ अभियान चलाता रहता है लेकिन दंडात्मक कार्रवाई मामूली होने के कारण ऐसे वाहनों के उपयोग में कमी नहीं आ रही है। अब परिवहन विभाग ने ऐसे नंबरों के उपयोग में कमी लाने और ऐसे नंबरों की बढ़ती मांग से कमाई का रास्ता निकालने की तैयारी की है। इस तरह के 25 फैंसी नंबर चिन्हित किये हैं और इन्हें आवंटित करने पर वीआईपी नंबरों की तरह शुल्क वसूलने की तैयारी है।

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