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लखनऊ

ये ब्लड बैंक मुनाफे के लिए खून में पानी मिला कर बेचता था, चौंके लोग

यह खराब खून लखनऊ के अलावा हरदोई, उन्नाव, बहराइच, कानपुर और फतेहपुर जनपद के अस्पतालों और ब्लड बैंकों में भी सप्लाई किया जाता था। सूत्रों के अनुसार, गिरोह का नेटवर्क सात राज्यों में फैला है। पूछताछ में खुलासा हुआ कि, यह गिरोह खून में सेलाइन वाटर मिलाकर उसे दोगुना कर महंगे दाम पर बेचता था।

लखनऊJul 01, 2022 / 04:31 pm

Sanjay Kumar Srivastava

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ये ब्लड बैंक मुनाफे के लिए खून में पानी मिला कर बेचता था, चौंके लोग

राजधानी लखनऊ में एसटीएफ और ड्रग विभाग ने मिडलाइफ चैरिटेबल ब्लड बैंक और कृष्णानगर की नारायणी ब्लड बैंक में छापेमारी की। छापेमारी में राजस्थान से तस्करी कर लाया गया 302 यूनिट घटिया मानव रक्त (ब्लड) बरामद किया गया है। ब्लड बैंक के संचालक और मुख्य तस्कर समेत सात को गिरफ्तार किया गया। यह खराब खून लखनऊ के अलावा हरदोई, उन्नाव, बहराइच, कानपुर और फतेहपुर जनपद के अस्पतालों और ब्लड बैंकों में भी सप्लाई किया जाता था। सूत्रों के अनुसार, गिरोह का नेटवर्क सात राज्यों में फैला है। पूछताछ में खुलासा हुआ कि, यह गिरोह खून में सेलाइन वाटर मिलाकर उसे दोगुना कर महंगे दाम पर बेचता था।
ऊंची कमीत पर बेचते

एसटीएफ एसपी प्रमेश शुक्ला ने बताया कि, पूछताछ में आरोपियों ने राजस्थान के जयपुर स्थित तुलसी ब्लड बैंक, पिंक सिटी ब्लड बैंक, रेड ड्रॉप ब्लड सेंटर, गुरुकुल ब्लड सेंटर, ममता ब्लड बैंक चौमू, दुषात ब्लड बैंक चौमू, मानवता ब्लड बैंक सीकर, शेखावटी ब्लड बैंक चुरू से खून की खरीद फरोख्त की बात कबूली है। इन ब्लड बैंकों के टेक्नीशियनों के जरिए 700-800 रुपए में ब्लड बैग खरीदकर खून की तस्करी कर इन्हें ऊंचे दाम पर बेचते थे। बरामद ब्लड बैग पर मित्रा कंपनी का स्टिकर लगा था। पर न तो डोनर का नाम था और न ही कलेक्शन करने वाले का नाम।
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मुकदमा दर्ज

एसटीएफ ने इस गिरोह के खिलाफ ठाकुरगंज थाने में जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करना और औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।

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पूछताछ में खुलासा

एसटीएफ की पूछताछ में गिरफ्तार तस्कर नौशाद ने बताया कि, डीएमएलटी की डिग्री उसने उसने रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस प्रयागराज हासिल की थी। इसके बाद अंबिका ब्लड बैंक जोधपुर में बतौर लैब टेक्नीशियन काम किया। काम के दौरान राजस्थान के कई ब्लड बैंकों के चिकित्सकों व टेक्नीशियनों से संपर्क हुआ। फिर चैरेटेबिल ट्रस्टों के माध्यम से संचालित ब्लड बैंक ब्लड डोनेशन कैंप से खून जुटाते थे। अधिकतर बैगों की इंट्री, ब्लड बैंक के दस्तावेजों में नहीं होती थी। इन्हें फर्जी दस्तावेज तैयार कर दूसरे राज्य में अधिक कीमत पर बेचा जाता था।

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