भारतीयता की पहचान वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वंदना हर एक मातु की है
ममता का जीवित निशान वन्दे मातरम वन्दे मातरम हिंदुओं की राम राम में है
अल्लाह के बन्दे की अजान वन्दे वन्दे मातरम
बुद्ध जैन नानक का रोम रोम बोलता है
बोलता है पूरा हिंदुस्तान वन्दे मातरम
क्रान्ति की धधकती मशाल वन्दे मातरम
मातृभूमि की तरफ आंख जो उठाये कोई
बन जाता है सशक्त ढाल वन्दे मातरम
वन्दे मातरम में छिपा है हल उत्तर भी
फिर क्यों बनाते हो सवाल वन्दे मातरम
सुजलाम सुफलाम मलजय शीतलाम
गूंजता रहे हजारों साल वन्दे मातरम
एकता के सूत्र जोड़ता है वन्देमातरम
रंग रूप वेश भूषा जाति धर्म अनेक
इन्हें एक ही दिशा में मोड़ता है वन्दे मातरम
सांस जब थमती है नब्ज़ जब जमती है
तब खून में भी खौलता है वन्दे मातरम
खेत जोतता हुआ किसान इसे बोलता है
मरता जवान बोलता है वन्दे मातरम। वन्दे मातरम कोई बहस विषय नहीं
गुत्थियों में उलझा है खोलो वन्दे मातरम
अशफाक हमीद कलाम की बिरासत है
धर्म के तराजू से न तोलो वन्दे मातरम
जिनके हृदय का स्वाभिमान सुप्त हो गया है
उनकी रगों रगों में घोलो वन्दे मातरम
पंकज प्रसून दिल खोल के ये बोले आज
मेरे दोस्त बोलो बोले बोले मातरम। जानें पंकज प्रसून के बारे में पंकज प्रसून रायबरेली के रहने वाले हैं। वह व्यंग्य लिखने के लिए भी काफी मशहूर रहे हैं।प्रसून बताते हैं कि व्यंग्य कविता के मामले में लखनऊ काफी समृद्ध रहा है, और उन्होंने भी यहीं से लिखना सीखा है। प्रसून का कहना है कि पहले की कविताओं को साहित्य में स्थान मिलता था। हालांकि सरोकारों और जीवन मूल्यों के साथ ही कविता अब साहित्य से भी दूर होती जा रही है। प्रसून बताते हैं कि मंच पर उपहास उड़ाने की प्रथा व्यंग्य के स्तर को नीचे गिरा रही है। युवा रत्न (लखनऊ महोत्सव-2013), सत्यपथ सम्मान, श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान, शांति साहित्य सम्मान, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान की व्यंग्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान उन्हें मिला है।