एसटीएफ ने बढ़ाया जांच का दायरा अनामिका शुक्ला के में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। फर्रुखाबाद में अनामिका शुक्ला के नाम पर नौकरी करने वाली रीना के निवास प्रमाण पत्र से फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। वहीं, जांच के दायरे को आगे बढ़ाते हुए पुलिस अब रीना के मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाल रही है। शिक्षिका के मोबाइल सिम के दस्तावेज और नियुक्ति के दस्तावेज अलग मिलने पर जांच को दिशा मिली है।
गलत डॉक्यूमेंट्स इस्तेमाल होने का आरोप गोंडा जिले के भुलइडीह की रहने वाली अनामिका शुक्ला इससे पहले मंगलवार को बीएसए के सामने पेश हुई थीं और उन्होंने डॉक्युमेंट्स का गलत इस्तेमाल होने के आरोप लगाए थे। उन्होंने अपने सभी शैक्षिक प्रपत्र दिखाए। अनामिका शुक्ला का कहना है कि वो आज भी बेरोजगार हैं। उसने नगर कोतवाली में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराई है। हालांकि अब उन्हें नौकरी का लेटर मिल गया है।
परिषदीय स्कूलों में भी नियुक्ति का खेल उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के अलावा परिषदीय विद्यालयों में भी धांधली की आशंका जताई गई है। अनामिका शुक्ला प्रकरण में एक-एक कदम आगे बढ़ाती पुलिस ने मैनपुरी के परिषदीय विद्यालय के एक फर्जी शिक्षक जसवंत को गिरफ्तार किया है। पुलिस का मानना है कि जसवंत का भाई पुष्पेंद्र ही फर्जी दस्तावेजों पर भर्ती गैंग का सरगना है। जसवंत फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कन्नौज के हरसेन ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक स्कूल रामपुर बरौली परिषदीय स्कूल में विभव कुमार के नाम से इंचार्ज प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत है। इसी तरह बहराइच में शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए चार शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। यहां परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की जांच में 13 शिक्षकों की बीएड डिग्री फर्जी पाई गई है। इनमें से आठ फर्जी शिक्षकों ने गैर जनपदों में तबादला करा लिया है। एक ज्वाइनिंग के बाद से ही गायब है। बाकी बचे चार को बर्खास्त कर दिया गया है।
दूसरी ओर, अंबेडकर नगर में नौकरी करने वाली मैनपुरी की अनीता शाक्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अनीता ने पुलिस को बताया कि वो समाजशास्त्र से एमए है। वर्ष 2018 में बेवर बाजार में उसकी मुलाकात पुष्पेंद्र से हुई। पुष्पेंद्र ने उसे शिक्षिका के पद पर 10 हजार रुपये की नौकरी लगवाने की बात कहीं। पुष्पेंद्र उसे आंबेडकरनगर ले गया और मार्च 2019 में उसे ज्वाइन करा दिया। यहां वह उपस्थिति रजिस्टर में अनामिका के नाम से हस्ताक्षर करती रही। पुष्पेंद्र उसे हर माह दस हजार रुपये देता था।