लॉकडाउन ने गंगा-यमुना को शुद्ध कर दिया। ईंट-भट्ठा, फैक्ट्रियों में निर्माण कार्य रुकने से भी प्रदूषण काबू में था। लॉकडाउन से पहले जिन लोगों में सांस लेने की तकलीफ थी, उन्हें इस लॉकडाउन में प्रदूषण घटने से काफी राहत मिली। ध्वनि और जल प्रदूषण में भी सुधार देखने को मिला। लॉकडाउन में एक्यूआई गिरकर 50-60 तक आ गया था। लेकिन अनलॉक-1 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में लखनऊ येलो जोन में आ गया है। शहर का एक्यूआई 135 पर पहुंच गया है। हालांकि, यह पहले के मुकाबले कुछ ठीक है लेकिन पूरी तरह राहत नहीं।
लॉकडाउन के दौरान स्थिति लॉकडाउन 1 से लॉकडाउन 4 तक शहर की हवा में काफी हद तक सुधार देखा गया था। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। आईआईटीआर के निदेशक प्रो. आलोक धावन के अनुसार लॉकडाउन में रियायत मिलने के पहले और बाद शहर की गुणवत्ता का आंकलन किया गया। इनमें 25 मार्च से 14 अप्रैल, 15 अप्रैल से 3 मई, 4 मई से 17 मई और 18 मई को गुणवत्ता चेक की गई। इस दौरान लॉकडाउन में छूट के साथ ही गाड़ियां चलने के साथ ही प्रदूषण बढ़ने की पुष्टि हुई। हालांकि, बीते कई वर्षों की तुलना में स्थिति काफी बेहतर पाई गई।
ध्वनि प्रदूषण मानक से कम लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में गाड़ियां न चलने से ध्वनि प्रदूषण 72.7 डेसिबल से गिरकर 54.4 डेसिबल रह गया। व्यावसायिक इलाकों चारबाग और आलमबाग में 21.13 और 10.56 फीसदी की गिरावट हुई।
ताजनगरी में हवा हुई जहरीली कोविड-19 का सबसे ज्यादा दंश झेलने वाली ताजनगरी में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए एयर क्वालिटी इंडेक्स में बुधवार को आगरा में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा सामान्य से 40 गुना तक ज्यादा दर्ज की गई। शहर का एक्यूआई 150 पार पहुंच गया है। सड़कों पर एकाएक वाहनों के आ जाने और डीजल के वाहनों की संख्या सड़क पर बढ़ जाने के कारण प्रदूषण में यह बढ़ोतरी मानी जा रही है।
सांस लेने में तकलीफ पर्यावरण विशेषज्ञ एके शुक्ला ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने से सबसे ज्यादा तकलीफ उन लोगों को होती है जिन्हें फेफड़ों की परेशानी है। उन्होंने कहा कि कार्बन मोनोऑक्साोइड जहरीली गैस होती है। डीजल इंजन की गाड़ियों के एक्जास्ट में इस गैस की मात्रा ज्यादा होती है। खून में ऑक्सीजन परिसंचरण के लिए जरूरी ऑक्सीहीमोग्लोबिन के साथ मिलकर यह गैस कार्बोऑक्सीहीमोग्लोबिन तत्व का निर्माण करती है। यह तत्व खून में ऑक्सीजन को मिलने से रोकता है। जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है।