Indian Railways: अब रेलवे स्टेशन पर मुसाफिरों को मिलेगा होटल की तरह बेहतरीन सुविधा
20 साल पुरानी है एक्सप्रेस-वे पर राजनीतिअसल में प्रदेश की राजनीति में एक्सप्रेस-वे की एंट्री आज से 20 साल पहले हो चुकी थी। जब 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने यमुना एक्सप्रेस-वे को बनाने का फैसला किया था। और उस वक्त से एक्सप्रेस-वे की राजनीति राज्य में चुनावी प्रमुख मुद्दा बन गई।
यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले पीएम मोदी द्वारा एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन राजनीतिक चर्चाओं में बना रहा। पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीटर पर लिखा कि ‘फीता आया लखनऊ से और नई दिल्ली से कैंची आई, सपा के काम का श्रेय लेने को मची है ‘खिचम-खिंचाई’।
2002 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने ग्रेटर नोएडा से आगरा को जोड़ने वाले 165 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे को बनाने का सपना देखा, उसे पूरा करने में करीब एक दशक लग गए। 2003 में मायावती की सरकार गिर गई। जब 2007 में मायावती की दोबारा सरकार बनीं तो फिर से उसका निर्माण शुरू हुआ। लेकिन 2012 के चुनावों से पहले, वह उसका उद्घाटन नहीं कर पाई।
दो साल में अखिलेश ने बनवाया ताज एक्सप्रेस-वे
2012 में सपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे बनाने का फैसला किया। एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य 2014 में शुरू हुआ और यह दिसंबर 2016 में चुनाव से पहले जनता के लिए खुल गया। अखिलेश यादव ने 2017 के चुनावों में इसे अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया। लेकिन वह भी मायावती की तरह सत्ता में वापसी नहीं कर पाए।
सपा का दावा है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उनकी सरकार का आईडिया है। इसका शिलान्यास भी सपा सरकार में ही किया गया। तो वहीं यूपीडा के चेयरमैन अवनीश अवस्थी ने बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की आधारशिला जुलाई 2018 में रखी गई थी। यह 36 महीनों में कोरोना लहर में बिना अतिरिक्त समय और बिना किसी अतिरिक्त खर्च के बनकर तैयार हुआ है।