एनडीए में सहयोगी अपना दल की नेता व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल कुर्मी मतदाताओं के सहारे यूपी की राजनीति में सक्रिय हैं। 2014 के चुनाव में उनकी पार्टी ने लोकसभा की दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2019 में भाजपा ने अपना दल को समझौते में मिर्जापुर और रॉबट्र्सगंज की सीटें दी हैं। अनुप्रिया पटेल वर्तमान में मिर्जापुर सांसद और केंद्र में मंत्री हैं। वाराणसी-मिर्जापुर, प्रतापगढ़, फतेहपुर आदि में ओबीसी समुदाय विशेषकर पटेल, कुर्मी, कटियार, सचान और वर्मा बिरादरी की अधिकता है। इन्हीं जातियों के बल पर अपना दल का पूर्वांचल में अच्छा जनाधार है। अब इस पार्टी के तीन टुकड़े हो चुके हैं। अनुप्रिया खुद की पार्टी को सोनेलाल की पार्टी का असली वारिश बताती हैं। अनुप्रिया के सामने न सिर्फ अपनी दोनों सीटें जीतने की कड़ी चुनौती है, बल्कि अन्य सीटों पर भाजपा के पक्ष में कुर्मी वोटर्स को लामबंद करना अग्नि परीक्षा देने जैसा है। यह चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि उनकी मां कृष्णा पटेल कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। जबकि प्रतापगढ़ से अपना दल सांसद हरिवंश सिंह राष्ट्रीय अपना दल बना चुके हैं।
ओम प्रकाश राजभर भले ही लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पूर्वांचल की 39 सीटों पर मैदान में हैं। अंतिम चरण के चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर राजभर वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। इनकी पार्टी का जनाधार भी पूर्वांचल में राजभर समाज में है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा के 4 विधायक जीते थे। चुनाव में पार्टी को 0.7 फीसदी मत मिले थे। बीजेपी से सुभासपा को सीटें न दिये जाने से नाराज राजभर अकेले चुनाव मैदान में हैं। अब उन्हें खुद को साबित करना बड़ी चुनौती है। चुनाव परिणाम के बाद उनकी राजनीतिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हारे तो उनका योगी सरकार में बने रहना मुश्किल होगा।
निषाद पार्टी-प्रवीण निषाद
सपा-बसपा के सहयोग से गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव जीतने वाले प्रवीण निषाद इस बार संतकबीर नगर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने गठबंधन से बसपा प्रत्याशी भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी हैं। यह चुनाव न केवल प्रवीण निषाद के लिए अहम है, बल्कि निषादों की राजनीति करने वाली ‘निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल’ (निषाद) पार्टी का भविष्य भी दांव पर लगा है। निषाद पार्टी पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद की पकड़ मल्लाह, मंझवार, गौड़, तुरहा, खरोट, खरवार, बेलदार, कोली और निषाद आदि जातियों में है। इस जाति की आबादी इस इलाके में 17 फीसदी के आसपास है। 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी को कुल 5,40,539 वोट मिले थे। पनियरा, कैम्पियरगंज, सहजनवा, खजनी, तमकुहीराज, भदोही, चंदौली और गोरखपुर ग्रामीण में 10 से 38 हजार मत मिले थे।
जन अधिकार मंच पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया है। पूर्व मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा चंदौली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय और गठबंधन प्रत्याशी संजय चौहान की कड़ी चुनौती है। चंदौली लोकसभा सीट पर कुशवाहा,मौर्या, शाक्य जाति के मत निर्णायक भूमिका में हैं। इसीलिए शिवकन्या कुशवाहा यहां से उम्मीदवार हैं। अपनी जाति के सहारे चुनाव मैदान में उतरी जन अधिकार मंच पार्टी के लिए यह चुनाव बेहद अहम है। शिवकन्या कुशवाहा चंदौली से चुनाव जीतती हैं तो उनकी पार्टी को संजीवनी मिलेगी। शिकस्त मिली तो पार्टी की राजनीतिक राहें मुश्किल हो जाएंगी।
महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, राबट्र्सगंज यह हैं प्रमुख प्रत्याशी
नरेंद्र मोदी, डॉ. महेंद्र पांडेय,अनुप्रिया पटेल, मनोज सिन्हा बीजेपी की लाख कोशिशों के बावजूद चुनावी मुद्दा क्यों नहीं बन सकी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, देखें वीडियो…