आदेश में कहा गया है- ‘विद्यालयों द्वारा ड्रेस एवं पुस्तकों को व्यावसायिक दृष्टि से न बेचने के लिए स्ववित्त पोषित अधिनियम-2018 के अध्याय-2 विद्यालयों में प्रवेश और शुल्क के बिंदु शुल्क एवं निधि-3 (10) के अनुसार किसी छात्र को पुस्तकें, जूते, मोजे व यूनिफॉर्म आदि किसी विशिष्ट दुकान से क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।’
आदेश का पालन न करने वालों के खिलाफ लिया जाएगा एक्शन आदेश में आगे कहा गया ‘अभिभावकों में पुस्तकें, ड्रेस आदि क्रय किए जाने के संबंध में किसी प्रकार से दुकान या स्थान का नाम प्रकटीकरण नहीं करेंगे। यदि उक्त व्यवस्था का उल्लंघन पाया जाएगा या शिकायत प्राप्त होती है तो उपरोक्त प्रावधान का उल्लंघन मानते हुए विद्यालय प्रबंधक/प्रधानाचार्य के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की जाएगी।’
इस वजह से लिया गया फैसला निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के फैसले के बीच यह आदेश जारी किया गया है। दरअसल, अभिभावक कई बार यह शिकायत कर चुके हैं कि स्कूल किसी खास दुकान से ही किताबें, यूनिफॉर्म आदि खरीदने को बोलते हैं। इससे उन अभिभावकों को समस्या होती है जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। ऐसी शिकायतों को ध्यान में रखकर यह आदेश जारी किया गया है। फिलहाल यह निर्णय लखनऊ में ही लागू होगा