राप्ती नदी की कटान को रोकने के लिये हंलाकि प्रयास किये जा रहे है, लेकिन वह बहुत प्रभावी नहीं है। जिस स्थान पर कटान हो रही है वहां तटबन्ध कटने के बाद राप्ती नदी धारा ही परिवर्तित हो जायेगी और दर्जनों गांव राप्ती की मुख्यधारा में समाहित हो जायेंगे।
इसी तरह खम्हरिया, बम्बाडीह, बभनपुरवा, मटियरियाडीह, कुडऊ, और परसौना सहित दर्जनों गांव ऐसे है जहां तेज कटान हो रही है। कटान रोकने के लिए ठेकेदारों के साथ ग्रामीण भी लगे हुए है लेकिन कटान की स्थिति देखते हुए तत्काल रोक पाना संभंव नहीं लग रहा है।
ये स्थिति बाढ़ के आने के बाद व पहले नदी के जलस्तर बढ़ने व घटने के साथ शुरू हो जाता है। कई गांव तो राप्ती नदी में समाहित हो चुके है, लेकिन ऐसे कई गांव अभी बाकी है जो नदी की प्रवाह में समाहित होने के कगार पर है।
ककरा निवासी किशन ने बताया कि राप्ती नदी का तेजी से जारी है और दिन प्रतिदिन कटान बांध की बढ़ता जा रहा है। जिससे बांध पर भी संकट मंडराने लगा है। यदि बांध कटा तो दर्जनों गांव नदी की धारा के साथ बह जायेंगे। कटान को देखते हुए ग्रामीण दहशत में है और पलायन करने को बेबस हैं। राप्ती की कटान से दहशत में आये ग्रामीण रात-रात भर जागरण कर रहे है।
ग्रामीणों ने नदी के किनारे पूजा-पाठ भी करना शुरू कर दिया है, ताकि कटान रुक जाए। कटान की रफ्तार इतनी तेज है कि यदि जल्द ही प्रशासन ने समुचित उपाय न किया तो दो तीन दिनों के भीतर ही नदी घरों को काटना शुरू कर देगी। यदि बांध को न बचाया गया तो क्षेत्र के करीब चार दर्जन से अधिक गांव कटान से प्रभावित होंगे।
ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कटान से बचाव के लिए सांसद व सदर विधायक से बात कही थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। डीएम राकेश कुमार मिश्रा राप्ती नदी से हो रही कटान पर निगाह जमाए है और कटान को रोक लिये जाने का दावा भी कर रहे है। सरयू नहर ड्रेनेज खंड सिद्धार्थनगर के अवर अभियन्ता डीएस त्रिपाठी ने बताया कि कटान को रोकने का उपाय किया जा रहा है। कटान वाले स्थल पर काम कराया जा रहा है। शीघ्र ही कटान को रोकने के लिए जेसीबी को भी काम पर लगाया जाएगा।