उत्तर प्रदेश में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की कालाबाजारी रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से सभी ऑक्सीजन वाहनों की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी ऑक्सीजन संयंत्रों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करें। जीपीएस उपकरणों के माध्यम से ऑक्सीजन वाहनों की निगरानी करें। ब्लैक मार्केटिंग और ऑक्सीजन और अन्य जीवन रक्षक दवाओं की मुनाफाखोरी को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएं।” इसके अलावा, इन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी काम सौंपा गया है कि प्रत्येक अस्पताल में कम से कम 36 घंटे का बैकअप ऑक्सीजन हो।
लखनऊ में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए अब तीन ऑक्सीजन कैप्सूल को भेजा जाएगा। इसके लिए मिलिट्री स्पेशल ट्रेन की मदद ली जाएगी। सेना के लो फ्लोर रैक का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन एक्सप्रेस में मेडिकल ऑक्सीजन टैंक को यूपी लाया जाएगा। सेना के अलग-अलग बेस से आए लो फ्लोर रैक पर खाली ऑक्सीजन टैंकर को लोड कर रेलवे ने लखनऊ जंक्शन से उतरेटिया तक ट्रायल शुरू किया। पहला रैक बोकारो भेजेगा। एक रैक में सात ऑक्सीजन टैंकर होंगे। लखनऊ से बोकारो की 805 किलोमीटर की दूरी ऑक्सीजन एक्सप्रेस का खाली रैक 16 घंटे में पूरी करेगा। मतलब गुरुवार को ऑक्सीजन कैप्सूल लखनऊ आ सकेगा। राज्य सरकार की झारखंड के बोकारो व जमशेदपुर और उड़ीसा के राउरकेला से मेडिकल ऑक्सीजन मंगाने की तैयारी है।