एक स्टेशन पर 10-30 एक्सल बाक्श तापमापी संयंत्र स्टाफ को मुहैया करा दिए गए हैं। हर प्लेटफार्म पर दो-दो कर्मचारी मशीनों के साथ उपलब्ध रहते हैं। पांच मिनट के भीतर पूरे कोचों का तापमान मापते हैं। इनकी रिपोर्ट ओके होने पर ही ट्रेन की लाइन क्लीयर होती है। स्टाफ ने किसी कोच के एक्सल बॉक्स का तापमान तय मानक से अधिक बताया तो उसी के हिसाब से फैसला मैकेनिकल विभाग लेता है।
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फ्री-फ्री-फ्री! 15 अगस्त पर इन Multiplex Cinema Halls पर मुफ्त में देखिए मनपसंद फिल्म, आदेश हुए जारी मौसम में उतार-चढ़ाव पर हाट एक्सल की बढ़ती हैं घटना-दुर्घटना सर्दी से गर्मी, बरसात से सर्दी और गर्मी से बारिश के मौसम के बदलाव पर हॉट एक्सल की घटनाएं बढ़ती हैं। उमस औऱ गर्मी में 70 फीसदी हॉट एक्सल की घटनाएं होती हैं। मौसम के बदलाव या फिर मानक से अधिक उमस औऱ गर्मी होने पर हॉट एक्सल की घटनाएं न हो, इसके लिए कोचों के एक्सल बॉक्स की जांच कराई जाती है।
मालगाड़ियों को विशेष एस्कॉर्ट से चलाना मजबूरी यात्री कोचों को डैमेज करने में कोई विशेष दिक्कत नहीं होती है लेकिन मालगाड़ियों का वैंगन काटने में बड़ी समस्या आती है। इस स्थित में मैकेनिकल स्टाफ को ट्रेन में भेज एस्कॉर्ट कराया जाता है। इसके साथ ही ट्रेन की गति भी तय कर दी जाती है। इसके अलावा या फिर मालगाड़ी को लूपलाइन में खड़ा करके एक्सल बाक्स को ठंडा किया जाता है।