दुकानों पर जनसेवा केंद्र की सुविधाएं मिलेंगी। गांव-गांव में कोटे की दुकानें संचालित हैं। लिहाजा लोगों को अब गांव में ही यह सुविधाएं मिलने लगेंगी। विभाग का कहना है कि इसका मुख्य उद्देश्य कोटेदारों की आय बढ़ाने का लक्ष्य है। अपर आयुक्त खाद्य तथा रसद विभाग द्वारा प्रदेश के जिला पूर्ति अधिकारियों को जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि इसके लिए उचित दर विक्रेताओं को प्रशिक्षण देकर कार्य शुरू करा दिया जाए।
यह भी पढ़े –
पहले दिन खुले स्कूल, 430 में से पहुंचे मात्र 30 बच्चे, नहीं कोई व्यवस्था एक जिलं में सात सौ से अधिक दुकानें केवल एक जिले में 600-700 से अधिक दुकाने हैं। बांदा जिले में उचित दर की कुल 749 दुकाने हैं। इनमें 82 नगरीय क्षेत्र की हैं। शेष 667 उचित दर की दुकानें ग्रामीण इलाके की हैं। जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि सभी दुकानों को जनसेवा केंद्र के रूप में सक्षम बनाना है।
कोटेदारों को दिया गया प्रशिक्षण राशन वितरण की दुकानों को जनसेवा केंद्र केरूप में सक्षम बनाने के लिए तहसील में कोटेदारों को प्रशिक्षण दिया गया। जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि विभागीय अधिकारियों व इंजीनियरों के द्वारा कोटेदारों को इन सेवाओं को बेहतर ढंग से संचालित करने को तकनीकी जानकारी दी गई है।
आय बढ़ाने के लिए यह सेवाएं शुरू जिला पूर्ति अधिकारी उबैदुर्रहमान खान को अनुसार जिले की सभी उचित दर की दुकानों जनसेवा केंद्र के रूप में सक्षम बनाया जाना है ताकि गांव के लोग आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र व अन्य योजनाओं सहित राशनकार्ड़ आदि के आवेदन आनलाइन कर सकें। उचित दर विक्रेताओं की आय बढ़ाने को कोटे की दुकानों में यह सेवाएं शुरू की जा रही।