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लखनऊ

श्रद्धालुओ ने जैन मंदिरों में पूरा अर्चना कर चढ़ाया निर्वाण लाड़ू

1008 पार्श्वनाथ क्षेत्रपाल मंदिर में श्रद्धालुओं ने एकत्रित होकर पूजन विधान किया।

लखनऊOct 19, 2017 / 03:43 pm

Dikshant Sharma

nirvan ladoo

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ललितपुर। दीपों का त्योहार दीपावली बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार आपनी अपनी धार्मिक परम्पराओं के अनुसार मनाया जा रहा है। इसी श्रखला में गुरूवार सुबह जैन परम्परानुसार मंदिरों में जैन श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। शहर के सभी जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं ने वर्तमान जिन भगवान महावीर की बड़े ही श्रद्धा भक्ति भाव से अभिषेक पूजन विधान कर धर्मलाभ प्राप्त कर भगवान का निर्माणोत्सव मनाया। आज के दिन वर्तमान जिन शासन नायक भगवान महावीर को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था और वह केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गए थे। इसलिए उनका मोक्ष कल्याणक मनाया जाता है ।
ललितपुर की 1008 पार्श्वनाथ क्षेत्रपाल मंदिर में श्रद्धालुओं ने एकत्रित होकर पूजन विधान किया। यहीं पर जैन धर्म गुरु 108 अभय सागर जी महाराज 108 प्रभात सागर जी महाराज एवं 108 पूज्य सागर जी महाराज का पवन वर्षायोग मनाया जा रहा है। इन्हीं गुणों के सानिध्य में भगवान महावीर का निर्वाण उत्सव दीपावली की पूजा अर्चना की गई। भगवान महावीर की पूजा विधान कर निर्माण कांड पढ़कर भगवान महावीर को निर्वाण लाडू समर्पित किया गया और उनसे यह कामना कीगई के हे भगवान जिस तरह इस दुनिया से आपको विरक्ति मिल गई आप को मोक्ष प्राप्त हो गया उसी तरह इस संसार में हमारा भी आना जाना मिट जाए हम भी मोक्ष प्राप्त करें सिद्धा ले में विराजमान हो।
जैन धर्मा नुसार इसलिए मनाई जाती है दीपावली
जैन धर्मानुसार दीपाबली इस लिए मनाई जाती है कि आज के दिन वर्तमान जिन शासन नायक 1008 श्री भगवान महावीर को निर्माण की प्राप्ति हुई थी । धर्मानुसार भगवान महावीर सुबह की प्रथम बेला में लगभग 5 बजे केवल ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गए थे और उनको मोक्ष प्राप्त होने की खुशी में समस्त जैन समाज के श्रद्धालु जैन मंदिरों में भगवान की पूजन विधान बड़ी ही श्रद्धा भक्ति भाव से करके भगवान को निर्माणलाड़ू भी चढ़ाते है ततपश्चात दीपकों को प्रज्वलित कर दीपाबली मनाते हैं। यह निर्माण लडू भगवान को इसलिए समर्पित किया जाता है कि हे भगवान आपकी तरह हमें भी इस दुनिया से मोक्ष प्राप्त हो। निर्माण लाडू चढ़ाने के बाद दीप प्रज्ज्वलन किया जाता है सभी आए हुए श्रद्धालु भगवान के निर्माण महोत्सव को मनाते हैं एवं दीप प्रज्ज्वलन कर भगवान से यही कामना करते हैं कि भगवान जिस तरह दीप जलकर अंधकार को मिटा देता है उसी तरह आपका आभा रूपी प्रकाश हमारे जीवन में छाया हुआ अंधकार मिटाकर हमें भी मोक्ष प्राप्ति में सहायक हो ।
इस मुहूर्त में मनाई जाती है दीपावली
जैन दर्शन के अनुसार दीपावली वर्तमान जन शासन नायक भगवान महावीर के निर्माण प्राप्ति की खुशी के रूप में मनाई जाती है । भगवान महावीर स्वामी आज के दिन मोक्ष को प्राप्त हुए थे और इसीलिए जैन समाज में इस दिन को भगवान महावीर निर्माण उत्सव के रुप में मनाते हैं । क्योंकि जैन शास्त्र के अनुसार भगवान की पूजन विधान का कार्यक्रम दिन की बेला में ही संपन्न होता है शाम 6:00 बजे के बाद यह पूजन विधान पूर्णतया वर्जित माना जाता है इसीलिए दीपावली के समस्त कार्यक्रम दिन में ही संपन्न किए जाते हैं । जैन सिद्धांत के अनुसार दीपावली मनाने का शुभ समय 4:05 से लेकर 5:55 तक किया जाना चाहिए । आज के दिन भगवान महावीर की पूजन विधान मंदिरों में की जाती है एवम घर में महावीराष्टक पढ़कर भगवान महावीर का अर्ध चढ़ाया जाता है और कई जगहों पर भगवान महावीर की पूजा घर में ही अष्ट द्रव्य से की जाती है । जैन धर्मानुसार अष्ट द्रव केवल दिन की मेला मर ही चढ़ाई जाती है यह अष्ट द्रव्य जल चंदन अक्षत पुष्प नई वैद्य दीप धूप फल आदि होते हैं । इसीलिए जैन सिद्धांत के अनुसार यह मुहूर्त दिन की बेला में ही संपन्न होता है भगवान महावीर की पूजन करने के बाद महावीर अष्टक और निर्माण कांड का पाठ किया जाता है । तत्पश्चात भगवान महावीर को अर्घ्य देकर अष्ट द्रव्य भगवान महावीर को समर्पित किया जाता है और कामना की जाती है कि हे भगवान जिस तरह आप को इस दुनिया से मोक्ष प्राप्त हो गया उसी तरह हमें भी इस दुनिया से मोक्ष प्राप्त हो जाए ।
इस मौके पर अभय सागर जी महाराज ने कहा कि आज पूरी दुनिया को भगवान महावीर के सत्य अहिंसा के सिद्धांत पर चलने की आवश्यकता है । आज पूरी दुनिया ईर्ष्या की आग में जल रही है सभी एक दूसरे से आगे निकलने की चाह में एक दूसरे को पछाड़ने में लगे हुए हैं । मगर भगवान महावीर का सिद्धांत है कि जियो और जीने दो अहिंसा परमो धर्म और इन्हीं सिद्धांतों पर चलकर पूरी दुनिया में शांति कायम की जा सकती है । आज हम अपने संस्कारों को भूल कर दूसरों के संस्कार अपनाने में लगे हुए हैं और हमारे जीवन में अशांति का सबसे बड़ा कारण यह भी है । इसीलिए हमें भगवान महावीर की तरह ही तपस्या कर मोक्ष की प्राप्ति करनी है अगर हम उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाएंगे तो हमें जीवन में कभी भी दुख नहीं होंगे ।

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