जैन धर्मानुसार दीपाबली इस लिए मनाई जाती है कि आज के दिन वर्तमान जिन शासन नायक 1008 श्री भगवान महावीर को निर्माण की प्राप्ति हुई थी । धर्मानुसार भगवान महावीर सुबह की प्रथम बेला में लगभग 5 बजे केवल ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गए थे और उनको मोक्ष प्राप्त होने की खुशी में समस्त जैन समाज के श्रद्धालु जैन मंदिरों में भगवान की पूजन विधान बड़ी ही श्रद्धा भक्ति भाव से करके भगवान को निर्माणलाड़ू भी चढ़ाते है ततपश्चात दीपकों को प्रज्वलित कर दीपाबली मनाते हैं। यह निर्माण लडू भगवान को इसलिए समर्पित किया जाता है कि हे भगवान आपकी तरह हमें भी इस दुनिया से मोक्ष प्राप्त हो। निर्माण लाडू चढ़ाने के बाद दीप प्रज्ज्वलन किया जाता है सभी आए हुए श्रद्धालु भगवान के निर्माण महोत्सव को मनाते हैं एवं दीप प्रज्ज्वलन कर भगवान से यही कामना करते हैं कि भगवान जिस तरह दीप जलकर अंधकार को मिटा देता है उसी तरह आपका आभा रूपी प्रकाश हमारे जीवन में छाया हुआ अंधकार मिटाकर हमें भी मोक्ष प्राप्ति में सहायक हो ।
जैन दर्शन के अनुसार दीपावली वर्तमान जन शासन नायक भगवान महावीर के निर्माण प्राप्ति की खुशी के रूप में मनाई जाती है । भगवान महावीर स्वामी आज के दिन मोक्ष को प्राप्त हुए थे और इसीलिए जैन समाज में इस दिन को भगवान महावीर निर्माण उत्सव के रुप में मनाते हैं । क्योंकि जैन शास्त्र के अनुसार भगवान की पूजन विधान का कार्यक्रम दिन की बेला में ही संपन्न होता है शाम 6:00 बजे के बाद यह पूजन विधान पूर्णतया वर्जित माना जाता है इसीलिए दीपावली के समस्त कार्यक्रम दिन में ही संपन्न किए जाते हैं । जैन सिद्धांत के अनुसार दीपावली मनाने का शुभ समय 4:05 से लेकर 5:55 तक किया जाना चाहिए । आज के दिन भगवान महावीर की पूजन विधान मंदिरों में की जाती है एवम घर में महावीराष्टक पढ़कर भगवान महावीर का अर्ध चढ़ाया जाता है और कई जगहों पर भगवान महावीर की पूजा घर में ही अष्ट द्रव्य से की जाती है । जैन धर्मानुसार अष्ट द्रव केवल दिन की मेला मर ही चढ़ाई जाती है यह अष्ट द्रव्य जल चंदन अक्षत पुष्प नई वैद्य दीप धूप फल आदि होते हैं । इसीलिए जैन सिद्धांत के अनुसार यह मुहूर्त दिन की बेला में ही संपन्न होता है भगवान महावीर की पूजन करने के बाद महावीर अष्टक और निर्माण कांड का पाठ किया जाता है । तत्पश्चात भगवान महावीर को अर्घ्य देकर अष्ट द्रव्य भगवान महावीर को समर्पित किया जाता है और कामना की जाती है कि हे भगवान जिस तरह आप को इस दुनिया से मोक्ष प्राप्त हो गया उसी तरह हमें भी इस दुनिया से मोक्ष प्राप्त हो जाए ।