scriptएनएफएचएस-5 खुलासा: यूपी के 50% पुरुष तंबाकू के आदी, समाधान की तलाश तेज | NFHS-5 disclosure: 50% of UP men addicted to tobacco, search for solution intensifies | Patrika News
लखनऊ

एनएफएचएस-5 खुलासा: यूपी के 50% पुरुष तंबाकू के आदी, समाधान की तलाश तेज

NFHS-5 Data: तंबाकू की बढ़ती लत के लिए वैकल्पिक समाधान तलाशने पर जोर, नए विकल्पों की जरूरत पर विशेषज्ञों का मत.

लखनऊSep 19, 2024 / 10:57 pm

Ritesh Singh

UP Tobacco Survey

UP Tobacco Survey

NFHS-5 Data: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 44.1 प्रतिशत पुरुष तंबाकू का सेवन करते हैं। यह आंकड़ा भारत में तंबाकू की लत के गंभीर संकट की ओर इशारा करता है, जहां कुल 26.7 करोड़ वयस्क तंबाकू का उपयोग करते हैं। इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए प्रभावी नीतियों और सुरक्षित विकल्पों की तत्काल आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि धूम्रपान पर रोक लगाने और तंबाकू छोड़ने के नए विकल्पों को बढ़ावा देने से राज्य में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
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तंबाकू की लत पर अंकुश लगाने की तत्काल जरूरत

उत्तर प्रदेश के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के थोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रमुख, डॉ. शैलेन्द्र यादव ने एनएफएचएस-5 के आंकड़ों को गंभीर बताते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश में तंबाकू सेवन का यह आंकड़ा चिंताजनक है। भारत में तंबाकू की लत के 26.7 करोड़ उपयोगकर्ता होने के कारण तंबाकू समाप्ति नीतियों में सुधार की सख्त आवश्यकता है।” उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को वैश्विक सफल अभियानों से सीखते हुए वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित सुरक्षित विकल्पों को केवल गंभीर धूम्रपान करने वालों के लिए उपलब्ध कराना चाहिए। जापान, स्वीडन और ब्रिटेन जैसे देशों के उदाहरणों से प्रेरणा लेकर धूम्रपान छोड़ने के लिए नए समाधान अपनाए जा सकते हैं।
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तंबाकू की लत से आर्थिक और स्वास्थ्य संकट

तंबाकू की लत से न केवल स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे आर्थिक नुकसान भी बढ़ रहा है। डॉ. यादव ने कहा कि तंबाकू से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं पर होने वाला खर्च, तंबाकू से मिलने वाले राजस्व से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि व्यापक नीतियों के जरिए तंबाकू की खपत को कम किया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य व्यय में कमी आएगी और निकोटीन पर लोगों की निर्भरता घटेगी।
UP Tobacco Survey

साक्ष्य-आधारित समाधान और नई नीतियों की जरूरत

निर्वाण हॉस्पिटल के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन बिहेवियरल एंड एडिक्शन मेडिसिन के निदेशक, डॉ. प्रांजल अग्रवाल ने भी तंबाकू की लत पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में तंबाकू की लत छोड़ने के पारंपरिक तरीके अब पर्याप्त नहीं हैं। हमें इस मुद्दे से निपटने के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नए विकल्पों की तलाश करनी चाहिए।” उनका मानना है कि तंबाकू की लत के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षित विकल्प अपनाने से स्वास्थ्य में सुधार होगा और तंबाकू से जुड़ी बीमारियों का बोझ कम होगा।
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तंबाकू से संबंधित बीमारियों का बढ़ता आर्थिक बोझ

तंबाकू की लत से न केवल स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी सालाना 13,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण बढ़ती मौतों और आर्थिक संकट को देखते हुए, तंबाकू नियंत्रण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दिशा में रोकथाम और तंबाकू समाप्ति नीतियों के साथ-साथ सुरक्षित विकल्पों जैसे कि गर्म तंबाकू उत्पाद (एचटीपीएस) की शुरुआत की जानी चाहिए।

वैश्विक उदाहरणों से सीखने की जरूरत

जैसा कि भारत तंबाकू के महामारी से जूझ रहा है, विशेषज्ञों का मानना है कि अन्य देशों के सफल अभियानों से सीखकर तंबाकू समाप्ति के नए तरीके अपनाए जा सकते हैं। सुरक्षित विकल्पों को शामिल करते हुए भारत में धूम्रपान छोड़ने के प्रयासों को बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है। जापान, स्वीडन और ब्रिटेन में अपनाए गए वैज्ञानिक विकल्पों की तर्ज पर भारत में भी नई रणनीतियों को लागू करने से तंबाकू से संबंधित बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में सफलता मिल सकती है।
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उत्तर प्रदेश में तंबाकू की लत के गंभीर आंकड़े एक चिंता का विषय हैं, लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए वैकल्पिक समाधान तलाशने के प्रयास भी हो रहे हैं। साक्ष्य-आधारित नीतियों, सुरक्षित विकल्पों और जन जागरूकता के साथ-साथ सरकार और विशेषज्ञों के प्रयासों से तंबाकू सेवन की लत को कम किया जा सकता है। तंबाकू नियंत्रण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर राज्य तंबाकू की लत से निपटने और अपने नागरिकों के स्वास्थ्य को सुधारने में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।

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