आयोग के सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (UPHESC) की सचिव ने एनसीबीसी को लिखित में बताया कि जून 2018 में एक आंतरिक बैठक में यह फैसला किया गया था कि आरक्षित वर्ग के लोगों का चयन आरक्षित श्रेणी में ही किया जाएगा। मामले की सुनवाई एनसीबीसी (National Commission for Backward Classes) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी और सदस्य कौशलेंद्र सिंह पटेल की बेंच ने की। एनसीबीसी ने पाया कि इस फैसले में आरक्षण के तमाम प्रावधानों व न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने संवैधानिक शक्तियों का हवाला देते हुए विज्ञापन संख्या 47 की साक्षात्कार प्रक्रिया को अविलंब स्थगित करने की अनुशंसा की है। एनसीबीसी ने आरक्षण अधिनियमों व आदेशों के मुताबिक साक्षात्कार के लिए लिखित परीक्षा परिणाम की फिर से मेरिट सूची बनाने को कहा है। इसमें अनारक्षित संवर्ग की अंतिम कट ऑफ के बराबर या उससे अधिक अंक पाने वाले समस्त अभ्यर्थियों (ओबीसी, एससी-एसटी) को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाए।