इस तरह के कैंसर में प्रचलित दवाओं का असर प्रभावी नहीं है, जिसके कारण यह अंदर ही अंदर फैलकर महिला को मौत की दहलीज पर पहुंचा देता है। मेडिकल कॉलेज की एथिक्स कमेटी ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इसमें आईसीएमआर ने भी मदद का भरोसा दिया है। मेडिकल कॉलेज की एथिक्स कमेटी के सचिव प्रो. सौरभ अग्रवाल का कहना है कि स्टडी प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई है।
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सातवीं के छात्रों ने चिट्ठी में लिखा अपना दुःख, प्रिंसिपल से कहा लड़कियां class में करती हैं ऐसी हरकतें क्यों अप्रभावी दवाएं ये दवाएं पीड़ित मरीज के कैंसर सेल्स के ऊपर एस्ट्रोजन-प्रोगेस्ट्रान और हर-2 हारमोन्स रिसेप्टर की लेयर जमा हो जाती है इसलिए दवाएं प्रभावी नहीं हो पाती हैं। इन रिसेप्टर पर प्रभावी दवाओं की खोज की जरूरत है। अभी हर-2 में कुछ दवाएं असर दिखाती हैं लेकिन उसमें भी जब हर-2 रिसेप्टर की रिपोर्ट 3 से ज्यादा पॉजिटिव आई हो। जेके कैंसर संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ.एमपी मिश्र के मुताबिक अभी तक ब्रेस्ट कैंसर की स्थिति में कीमोथेरेपी में जितनी दवाएं दी जाती हैं, वह सभी रिसेप्टर की लेयर को भेदने में सफल नहीं हो पा रही हैं इसलिए कैंसर तेजी से फैलता है।
सभी स्टेज में 48 बायोप्सी पीस देंगे करार के मुताबिक विभाग 48 मरीज के बायोप्सी सैंपल आईआईटी को दिए जाएंगे। इसमें ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज 1,2,3 और 4 के मरीजों के आपरेशन के बाद सैंपल लिए जाएंगे। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के हेड प्रो जीडी यादव ने कहा ब्रेस्ट कैंसर तेजी से फैल रहा है। इस समय हर महीने 20-25 ऑपरेशन किए जा रहे हैं।
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ऐसा होगा यूपी का पहला कृत्रिम समुद्र, यहां देखें तस्वीरें, मुफ्त मनोरंजन और रोजगार भी तेजी से बढ़ा ब्रेस्ट कैंसर मेडिकल कॉलेज ने कीं बीते एक साल में 301 सर्जरी ब्रेस्ट कैंसर की। ब्रेस्ट कैंसर दुनिया के लिए गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2020 में 23 लाख महिलाओं ने ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कराया जिसमें 6.85 लाख महिलाओं की मौत हो गई।