उत्तर प्रदेश में लगातार 4 चुनाव जिनमें 2 लोकसभा और 2 विधानसभा के चुनाव जीत रही BJP को एक बड़ा वर्ग आज भी वोट नहीं दे रहा है। इस बात को ध्यान में रखकर BJP यादव समाज के बड़े नेताओं को लगातार सम्मान दे रही हैं। इसका पहला बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब 25 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय यादव महासभा के पूर्व अध्यक्ष हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतीथि पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जनसभा को संबोधित किया था। हरमोहन सिंह यादव ने MLC, विधायक, राज्यसभा सदस्य के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया।
सपा संस्थापक को पद्म विभूषण देने के पीछे सबसे बड़ा 2024 का चुनाव माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव से करीब 1 साल पहले मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण देकर केंद्र की मोदी सरकार बताना चाहती है कि वह यादव नेताओं का सम्मान करती हैं। वह बिना जातीवाद से ऊपर उठकर सभी वर्गों के लिए काम करती है। भाजपा ने पिछले कई चुनावों में न सिर्फ यादव समाज से आने वाले नेताओं को चुनाव में टिकट दिया हैं। बल्कि उन्हें केंद्र से लेकर राज्य तक मंत्री भी बनाया है।
राजनीति के जानकार बताते है कि इस तरह के कार्यक्रमों से भले ही BJP को बड़े लेवल पर यादवों का वोट न मिले। लेकिन वह उनके बीच में अपने लिए जगह बनाने में कामयाब हो जाएगी। इससे उसे आने वाले चुनावों में पार्टी को फायदा हो सकता हैं। अब देखना यह है कि क्या अखिलेश यादव अपने कोर वोट बैंक को बचा पाते है? या गैर यादव OBC की तरह यादव भी आने वाले चुनाव में BJP का साथ देंगे।
2011 के जनगणना के अनुसार 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 10% के करीब 2.2 करोड़ यादवों की जनसंख्या है। 2001 में यूपी सरकार द्वारा गठित हुकुम सिंह समिति के अनुसार, यादव यूपी में सबसे प्रभावशाली भूमि-स्वामी जाति हैं। यादवों की तब की जनसंख्या 1.47 करोड़ आंकी गई थी, और ओबीसी आबादी में उनकी हिस्सेदारी 19.4 प्रतिशत थी, हालांकि सरकारी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी 33 प्रतिशत हैं।
10 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीताने की भूमिका में हैं यादव
OBC समाज में करीब 20% की हिस्सेदारी रखने वाले यादव प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में है। ये जिले इटावा, बदायूं, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, फैजाबाद, जौनपुर, संत कबीर नगर, बलिया, आजमगढ़ जिले हैं। भाजपा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इन में से कई सीटों पर चुनाव हार गई थी।