मुख्य उद्देश्य और वित्तीय सहायता
इस योजना का उद्देश्य प्रति पशु दुग्ध उत्पादन में वृद्धि कर राष्ट्रीय औसत तक पहुंचना है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में प्रति गाय औसतन 3.78 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कम है। योजना के अंतर्गत 10 गायों की क्षमता वाली उच्च-तकनीकी डेयरी इकाइयों की स्थापना की जाएगी, जिसमें गिर, थारपारकर, और साहीवाल जैसी उच्च गुणवत्ता वाली देशी नस्लों की गायें शामिल होंगी। प्रत्येक इकाई पर लगभग 23.60 लाख रुपये खर्च होंगे, जिसमें सरकार और लाभार्थी का योगदान शामिल है। इसके जरिए दुग्ध उत्पादन में सुधार के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने की भी योजना है।डेयरी संरचना में आधुनिक तकनीक का उपयोग
योजना के तहत डेयरी इकाइयों में पफ पैनल संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, जिससे पशुओं को प्रतिकूल मौसम से सुरक्षा मिलेगी और उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा। साथ ही, गौ पालकों को आधुनिक प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग कर दुग्ध उत्पादन और पशु प्रबंधन को सुधार सकें। इसके अलावा, इस योजना के अंतर्गत तीन साल का अनुभव रखने वाले योग्य किसानों का चयन किया जाएगा, ताकि वास्तविक जरूरतमंद किसान इस योजना का लाभ उठा सकें।गौ पालकों को सशक्त बनाने और ग्रामीण समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रयास
यह योजना न केवल दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए है, बल्कि इसका उद्देश्य ग्रामीण समाज में आर्थिक और सामाजिक सुधार लाना भी है। इससे छोटे और सीमांत किसानों को नए अवसर मिलेंगे, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इस योजना का लाभ सीधे-सीधे किसानों तक पहुंचेगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।नंदिनी कृषक समृद्धि योजना
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए “नंदिनी कृषक समृद्धि योजना” शुरू की गई है। इस योजना के तहत किसानों को उनके गांवों में ही दूध बेचने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे उन्हें दूध के उचित दाम भी मिल सकें।योजना के प्रमुख बिंदु
दूध बिक्री के साधन किसानों को गांव में ही दूध बिक्री की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया है।योजना के अंतर्गत सभी किसानों का एक डाटाबेस तैयार किया जाएगा, ताकि भविष्य में उन्हें अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
अनुदान एवं सहायता
दूध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए चारा और पशु आहार उत्पादन करने वालों को भी अनुदान दिया जाएगा।उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी दुग्ध उत्पादक राज्य होने के कारण, इस योजना के माध्यम से राज्य में बढ़ती आबादी के लिए दूध की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
निगरानी एवं समिति गठन
योजना की निगरानी के लिए प्रदेश और जिला स्तर पर समितियों का गठन किया गया है।किसानों को उच्च गुणवत्ता की देसी नस्ल की गाय खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि हो सके।
महिलाओं की भूमिका
योजना में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित की गई है और अधिकतम महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।गोवंश की खरीद
चयन पत्र प्राप्त करने के बाद लाभार्थी को 2 माह के भीतर गिर, साहीवाल, हरियाणा, या थारपारकर नस्ल की गायों को खरीदना होगा।योजना के तहत विभिन्न प्रकार की गायों की खरीद की लागत और अनुदान निम्नानुसार होगा:
25 गोवंश के लिए लागत: ₹31,25,000 (साहीवाल/गिर/थारपारकर)।20 गोवंश के साथ 5 गंगातीरी गोवंश: ₹61,00,000।
योजना में परियोजना लागत का 50% अनुदान दिया जाएगा।
पात्रता
किसी भी जिले के किसान इस योजना के लिए पात्र हैं।महिलाओं को इस योजना में प्राथमिकता दी गई है।
आवेदन करने के लिए किसान का बैंक खाता होना अनिवार्य है।
आवश्यक दस्तावेज
आधार कार्डनिवास प्रमाण पत्र
राशन कार्ड
बैंक खाता विवरण
पासपोर्ट साइज फोटो
मोबाइल नंबर