बसपा से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले दारा सिंह चौहान सपा में अधिक समय तक नहीं टिक पाए। उनका जन्म 25 जुलाई 1963 को आजमगढ़ के गलवारा में हुआ था। 12 वीं पास दारा सिंह शुरुआती दिनों से ही राजनीतिक में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने बसपा का दामन थाम करके पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया। पार्टी ने उनके तेवर को पहचाना और उनका कद तेजी से बढ़ने लगा।
पूर्वांचल में राजनीतिक पकड़ को देखते हुए बसपा ने पहली बार साल 1996 में दारा सिंह चौहान को राज्यसभा सदस्य बनाया। साल 2000 में एक बार फिर से वे राज्यसभा सदस्य बने। राज्यसभा की सदस्यता से रिटायर होने के बाद साल 2009 में उन्होंने बसपा के टिकट से घोसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। साल 2014 लोकसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान बीजेपी के हरिनारायण राजभर से चुनाव हार गए। इसके बाद 2015 में वह बीजेपी शामिल हो गए थे।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें मधुबन विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद वह योगी सरकार के पहले कार्यकाल में वन, पर्यावरण एवं प्राणी उद्यान मंत्री बने। हालांकि, 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़कर सपा में शामिल हो गए। सपा ने उन्हें घोसी सीट से उम्मीदवार बनाया और एक बार फिर जीत दर्ज की।
सपा से इस्तीफा देने के बाद से चर्चा है कि दारा सिंह चौहान एक बार फिर घोसी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। घोसी से वे पहले सांसद भी रह चुके हैं। ओबीसी समाज के एक बड़े नेता के तौर पर उनकी पहचान होती है। लोकसभा चुनाव 2014 में घोसी लोकसभा सीट बीजेपी के पाले में आई थी। 2019 में सपा- बसपा गठबंधन हो गया। बसपा उम्मीदवार अतुल कुमार सिंह 1,22,568 वोटों से बीजेपी के उम्मीदवार को हराकर सांसद बने। इससे यह सीट बसपा के पाले में चली गई।