बहुजन समाज पार्टी के छंटनी अभियान का असर सबसे ज्यादा पश्चिमी उत्तर प्रदेश नेताओं पर पडा़ है। अनुशासनहीनता के आरोप में पूर्व विधायक रविंद्र मोल्हू के बाद मेरठ की महापौर सुनीता वर्मा और योगेश वर्मा को पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। इन पर कार्रवाई से बसपाई हैरान हैं। क्योंकि, यूपी में बसपा की दो महापौर में से एक सुनीता हैं। वहीं, मा दलित आंदोलन में सक्रिय रहने के कारण योगेश वर्मा लंबे समय तक जेल में रह चुके हैं। इनके अलावा उत्तराखंड प्रभारी रहे सुनील चित्तौड़ समेत चार वरिष्ठ नेताओं को निकाले जाने के फैसले से बसपा समर्थक हैरान हैं। सुनील कुमार चितौड़ दो बार एमएलसी रह चुके हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री नारायण सिंह सुमन, पूर्व विधायक कालीचरण सुमन, वीरू सुमन और पूर्व जिलाध्यक्ष भारतेंदु अरुण, मलखान सिंह व्यास और विक्रम सिंह को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बसपा की बैठक में छाया मुद्दा
उपचुनाव में अंबेडकरनगर जिले की जलालपुर सीट हाथ से निकलने और समाजवादी पार्टी की जीत से मायावती बेहद आहत हैं। सूत्रों के अनुसार, छह नवंबर की समीक्षा बैठक में जलालपुर की हार का मुद्दा गर्माया रहा। बसपा प्रमुख ने जीत की अनुकूल परिस्थिति होने के बाद भी पराजय के कारणों की रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट के बाद कुछ नेताओं पर कार्रवाई भी संभव है। वहीं, सहारनपुर की गंगोह और मऊ जिले की घोसी सीट के नतीजों को लेकर भी मायावती संतुष्ट नहीं है।