महिलाओं के लिए खुशखबरी, मैटरनिटी लीव 135 से बढ़कर 180 दिन हुई
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक नवदीप रिणवा ने कहा है कि महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव की अवधि 135 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दी गई है। मातृत्व अवकाश के दौरान कर्मचारियों को उनके द्वारा पहले किए गए वेतन के बराबर भुगतान किया जाएगा। इस फैसले को मंजूरी मिल गई है।
लखनऊ. यूपी में सरकारी नौकरी कर रही महिला कर्मियों के लिए खुशखबर है। यूपी परिवहन निगम ने भी अब महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव की अवधि 135 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दी है। मातृत्व अवकाश के दौरान महिला कर्मचारियों को उनके द्वारा पहले किए गए वेतन के बराबर भुगतान किया जाएगा। इसी के साथ बाल्य देखभाल अवकाश की सुविधा को भी मंजूरी मिल गई है। यूपी के अन्य विभागों में यह व्यवस्था पहले से ही लागू थी। इसी के साथ यूपी के सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों में यूजी और पीजी कोर्स कर रही छात्राओं को भी यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार मैटरनिटी लीव देने का शासनादेश जारी कर दिया गया है।
यह है मातृत्व लाभ मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अनुसार गर्भवती महिला 26 सप्ताह यानि साढ़े छह महीने तक मातृत्व अवकाश की पात्र होती हैं। यह प्रसव की अनुमानित तिथि से आठ सप्ताह पहले से शुरू हो सकती है। लेकिन इस अवकाश के साथ यह शर्त जुड़ी है कि कोई भी महिला अपनी पहली दो गर्भावस्थाओं के लिए यह अवकाश ले सकती है। तीसरा बच्चा होने पर 12 सप्ताह के लिए मैटरनिटी लीव देने का प्रावधान मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 में शामिल है।
मैटरनिटी लीव का शासनादेश जारी विश्वविद्यालयों में अभी तक मैटरनिटी लीव केवल शिक्षिकाओं को ही मिलती थी। अब स्नातक (यूजी) और परास्नातक (पीजी) कोर्स करने वाली छात्राओं को भी यह अवकाश मिल सकेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों से यूजी और पीजी कर रही महिला छात्रों को मातृत्व अवकाश और हाजिरी में राहत देने के लिए उचित नियम और मानदंड तैयार करने का निर्देश दिया है। यूजीसी ने अपने 2016 के रेगुलेशन में नया प्रावधान जोड़ा है। इस नियम को यूपी में भी लागू कर दिया गया है।
पहले एमफिल और पीएचडी में थी सुविधा यूजीसी पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमन 2016 के मुताबिक, यह लाभ केवल उन स्टूडेंट्स को मिलता था जो एमफिल या पीएचडी कोर्स कर रहे हैं। एमफिल और पीएचडी के पूरे कोर्स के दौरान किसी महिला स्टूडेंट को एक बार मैटरनिटी लीव/चाइल्ड केयर लीव (बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश) दी जा सकती थी। अवकाश की यह 240 दिन यानी 8 महीने की छुट्टी हो सकती थी। अब यूजीसी के नए फैसले के अनुसार, यह सुविधा अंडर ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन करने वाली वह छात्राएं जो कि गर्भवती हैं, उन्हें भी मिलेगा। मातृत्व अवकाश में छात्राओं को हाजिरी, परीक्षा सहित सभी शैक्षणिक कार्यो से छूट रहेगी।
सरोगेट मदर और बच्चा गोद लेने वाली को भी सुविधा सरोगेट मदर को भी मातृत्व अवकाश की सुविधा दे दी गयी है। सीसीएस (अवकाश) नियम 1972 के अधिनियम 43 (1) के तहत बच्चे को गोद लेने वाली महिला को भी मातृत्व अवकाश लेने का पूरा अधिकार है। मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 में उन माताओं को भी 12 सप्ताह का वैतनिक अवकाश देने का प्रावधान है, जिन्होंने तीन माह या उससे छोटे शिशु को गोद लिया है या जिनके सरोगेसी के जरिये बच्चा हुआ है। जिस क्षण से महिला बच्चे को गोद लेती है, उसी क्षण से उसी क्षण से वह इस अधिकार की हकदार हो जाती है।
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