हवाला के जरिए आता था पैसा उमर और जहांगीर पर धर्मांतरण से मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के अनुसार हवाला के जरिये पैसा आ रहा था। विदेशी खाते का ट्रांजैक्शन सामने आया है। इस बात का पता लगाया जा रहा है कि हवाला के जरिये किन-किन खातों से पैसा आता था। यह पैसे किस आधार पर भेजे गए। विदेशी फंडिंग का भी पता लगाया जा रहा है। इसी बीच यूपी के अन्य जिलों में सक्रिय इनके गिरोह के जरिये धर्मांतरण के अन्य मामले भी सामने आए हैं। यूपी एटीएस की राज्य में और यूपी के बाहर छापेमारी चल रही है। अवनीश अवस्थी ने कहा कि 1500 से अधिक मामले सामने आए हैं। हर पहलू पर जांच की जा रही है।
हिंदू बच्चों को पढ़ाई जाती थी उर्दू उमर गौतम के अपने गृह जनपद फतेहपुर में नरुल हुदा की शिक्षिका कल्पना सिंह ने धर्मांतरण की पोल खोली है। उनका आरोप है कि लोगों को जबरन धर्मांतरण के लिए उकसाया जाता है। एक वीडियो जारी कर उन्होंने बताया कि करीब 25 मौलानाओं के साथ मार्च में उमर स्कूल आया था। उस दौरान महिला टीचर पर मौलानाओं ने धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया था। आरोप है कि स्कूल प्रबंधन मोहम्मद उमर गौतम के साथ मिलकर बच्चों के धर्मांतरण की साजिश रच रहा था। स्कूल में हिन्दू बच्चों को उर्दू और अरबी पढ़ाई जाती थी। कथित तौर पर गैर मुस्लिम बच्चों को मुसलमान बच्चों के साथ ‘विशेष प्रार्थना’ पढ़ने और शिक्षा दी जाती थी। शिक्षिका ने जब इसका विरोध किया तो उसे स्कूल से निकाल दिया। कल्पना सिंह का आरोप है कि उन्होंने सदर कोतवाली में स्कूल प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया था। लेकिन पुलिस ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
ये भी पढ़ें: धर्म परिवर्तन के पीछे आतंकी साजिश का शक, विदेशी एनजीओ से मिलती है मदद, बड़ा खुलासा मूक बधिर बच्चों को इस्लाम कुबूल कराकर कट्टरपंथी बनाना था मकसद आईएसआई के शह पर ही विभिन्न आतंकी संगठनों ने धर्मांतरण सिंडीकेट के लोगों की काफी मदद की और अधिक से अधिक धर्मांतरण कराने को कहा था। गिरफ्तार मौलाना उमर गौतम को इसकी कमान सौंपी गई थी। साजिश के तहत मूक-बधिरों को इस्लाम कुबूल कराकर उन्हें कट्टरपंथी बनाना था। इसके बाद आतंकी संगठनों में भेजना था। नोएडा डेफ सोसायटी के कुछ छात्रों के धर्मांतरण की बात स्पष्ट हुई है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के 6 से अधिक मूक-बधिर स्कूल और ट्रेनिंग सेंटर इस सिंडीकेट के पहले चरण में निशाने पर थे।
सरकारी दस्तावेजों में रखा पुराना नाम गाजीपुर कस्बे में धर्म परिवर्तन के 3-4 केस सामने आए हैं। कस्बे के रमेश ने करीब आठ साल पहले शहर में ही धर्म परिवर्तन कर लिया था। उसे नया नाम सलाहुद्दीन मिला, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में उसका पुराना नाम बरकरार रहा। उसने कभी डॉक्यूमेंट्स अपडेट नहीं कराए। रमेश उर्फ सलाहुद्दीन की पत्नी का दावा है कि काफी समय तक उसे पति के धर्म और नाम बदलने के बारे में कुछ पता नहीं चला।
स्कूल में घंटों पूछताछ एटीएस ने लखनऊ में जिस दिन कथित धर्मांतरण गैंग का पर्दाफाश किया था, उसके एक दिन पहले आदित्य उर्फ अब्दुल अचानक घर लौट आया था। एटीएस आदित्य के घर पहुंचकर उससे साइन लैंग्वेज विशेषज्ञ के जरिए जानकारी जुटाने में लगी है। मिली जानकारी के बाद पुलिस ने बिठूर के ज्योति मूक-बधिर विद्यालय में जाकर पिछले साल के बच्चों और टीचरों के रिकॉर्ड मांगे थे। गुरुवार को स्कूल में काफी समय मौजूद रहने के बाद एटीएस ने प्रबंधक से घंटों पूछताछ की।
एटीएस की मुश्किलें बढ़ीं धर्मांतरण मामले में यूपी एटीएस ने मोहम्मद उमर और जहांगीर को गिरफ्तार कर जेल जरूर भेज दिया है लेकिन उनके खिलाफ गवाह खड़ा करना काफी कठिन साबित हो रहा है। अभी तक एटीएस ने बरामद सूची में जितने भी लोगों से संपर्क किया है उनमें से ज्यादातर ने यह कहा है कि उन्होंने अपनी मर्जी से धर्मांतरण कराया। दरअसल, उमर की संस्था के जरिए धर्मांतरण करने वाले ज्यादातर लोग उच्च या अच्छी शिक्षा हासिल किए हुए बालिग लोग हैं। वायरल सूची में भी ज्यादातर ऐसे हैं जिन्होंने अच्छे डिप्लोमा कोर्स या डिग्री हासिल की हुई है। सभी ने अपनी मर्जी से धर्मांतरण किए जाने के एफिडेविट भी दिए हैं। इनमें से जितने भी लोगों से एटीएस ने संपर्क किया है उनमें से किसी ने जबरन धर्मांतरण का आरोप नहीं लगाया है।